क्या ईडी ने अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया।
- गिरफ्तारी पीएमएलए के तहत की गई।
- अल फलाह ट्रस्ट का गठन 1995 में हुआ था।
- 18 नवम्बर को दिल्ली में तलाशी अभियान चलाया गया।
- फर्जी कंपनियों का भी पता चला।
नई दिल्ली, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 19 के अंतर्गत की गई।
ईडी ने इस मामले में अपनी जांच की शुरुआत दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा दर्ज की गई दो एफआईआर के आधार पर की थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि अल-फलाह विश्वविद्यालय, फरीदाबाद ने छात्रों और अभिभावकों को धोखा देने के लिए धोखाधड़ीपूर्ण तरीके से एनएएसी मान्यता का दावा किया, जबकि विश्वविद्यालय को यूजीसी मान्यता प्राप्त नहीं थी।
जांच में यह पाया गया कि अल-फलाह ट्रस्ट, जिसकी स्थापना 1995 में हुई थी, के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की कमी थी, फिर भी इसने 1990 के दशक से अब तक विशाल विस्तार किया। इसके अलावा, ट्रस्ट ने अपनी आय को पारिवारिक संस्थाओं में स्थानांतरित किया, जिसमें निर्माण और खानपान के ठेके अपने परिवार के सदस्यों को दिए गए।
18 नवबंर को, ईडी ने दिल्ली में 19 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया, जिसमें अल फलाह विश्वविद्यालय और ट्रस्ट से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों के आवासीय परिसर शामिल थे। तलाशी के दौरान, ईडी को 48 लाख रुपए से अधिक की नकदी, डिजिटल उपकरण और महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले। इसके अतिरिक्त, ट्रस्ट द्वारा चलाए जा रहे कई फर्जी कंपनियों का भी पता चला।
जवाद अहमद सिद्दीकी की भूमिका के संबंध में कई साक्ष्य सामने आए हैं, जो उनके द्वारा पारिवारिक कार्यों में धन के हेरफेर और अपराध की आय को छुपाने के पैटर्न को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। इन साक्ष्यों के आधार पर, ईडी ने जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया।
इसके पहले, नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (एनएएसी) ने विश्वविद्यालय को फर्जी एक्रेडिटेशन क्लेम के लिए अल-फलाह यूनिवर्सिटी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय ने विश्वविद्यालय की फंडिंग को लेकर भी जांच शुरू की है।