क्या प्रवर्तन निदेशालय ने सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले में बड़ी कार्रवाई की?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले में कार्रवाई की है।
- 45.92 लाख रुपए की संपत्ति जब्त की गई है।
- मामले में कई प्रमुख व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है।
- जांच अभी भी जारी है।
लखनऊ, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय ने सरकारी धन के दुरुपयोग से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। ईडी ने 11 अगस्त 2025 को विशेष पीएमएलए अदालत में एक अभियोजन शिकायत दर्ज की थी, जिसमें 45.92 लाख रुपए की संपत्ति को जब्त करने और आरोपियों को दंडित करने की मांग की गई थी।
इस मामले में डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट, लुईस खुर्शीद (पत्नी सलमान खुर्शीद) और मोहम्मद अथर को अभियुक्त ठहराया गया है। लखनऊ की विशेष पीएमएलए अदालत ने 25 नवंबर 2025 को इस शिकायत पर संज्ञान लिया।
ईडी ने इस जांच को उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज 17 एफआईआर के आधार पर आरंभ किया था। ये एफआईआर डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट के प्रतिनिधि प्रत्युष शुक्ला और अन्य के खिलाफ थीं।
पुलिस ने सभी 17 मामलों में चार्जशीट दाखिल की है, जिनमें ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव अथर फारूकी उर्फ मोहम्मद अथर और तत्कालीन प्रोजेक्ट डायरेक्टर लुईस खुर्शीद को आरोपी बनाया गया है।
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि ट्रस्ट को केंद्र सरकार से 71.50 लाख रुपए की अनुदान राशि (ग्रांट-इन-एड) प्राप्त हुई थी। यह राशि दिव्यांगों को कृत्रिम अंग और उपकरण वितरित करने के लिए आयोजित किए जाने वाले शिविरों के लिए थी। लेकिन, जांच में पाया गया कि यह धन सही उद्देश्य के अनुसार खर्च नहीं किया गया। आरोप है कि यह धन प्रत्युष शुक्ला, मोहम्मद अथर और लुईस खुर्शीद द्वारा ट्रस्ट और अपने निजी लाभ के लिए उपयोग किया गया।
इसके पूर्व, ईडी ने इस मामले में 29.51 लाख रुपए मूल्य की 15 अचल संपत्तियां, जो फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश) में कृषि भूमि के रूप में थीं, अस्थायी रूप से अटैच की थीं। इसके अलावा, ट्रस्ट से जुड़े चार बैंक खातों में जमा 16.41 लाख रुपए भी अटैच किए गए थे।
ईडी के अनुसार, जांच अभी भी जारी है और मामले में कानूनी कार्रवाई की जा रही है।