क्या ईडी ने हिमाचल-पंजाब में फर्जी क्रिप्टो पोंजी घोटाले पर 8 ठिकानों पर छापे मारे?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी की कार्रवाई ने फर्जी क्रिप्टो पोंजी घोटाले का पर्दाफाश किया।
- लगभग 2300 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है।
- सुभाष शर्मा और अन्य आरोपी अभी भी फरार हैं।
- फ्रीजिंग ऑर्डर के तहत कई संपत्तियों को रोका गया है।
- निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
शिमला, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत हिमाचल प्रदेश और पंजाब में 8 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। यह कार्रवाई एक बड़े पैमाने पर चल रहे फर्जी क्रिप्टोकरेंसी आधारित पोंजी/मल्टी-लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) घोटाले की जांच के तहत की गई, जिसमें इन राज्यों के लाखों निवेशकों को लगभग 2300 करोड़ रुपए का चूना लगाया गया था।
यह कार्रवाई 13 अक्टूबर को की गई। ईडी ने हिमाचल प्रदेश और पंजाब के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में घोटाले के मास्टरमाइंड सुभाष शर्मा (जो 2023 में देश छोड़कर भाग चुका है) तथा अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की।
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने कोरवियो, वोस्क्रो, डीजीटी, हाइपनेक्स्ट और ए-ग्लोबल जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से धोखाधड़ी वाली क्रिप्टोकरेंसी आधारित एमएलएम/पोंजी योजनाएं चलाईं, जिसमें भोले-भाले निवेशकों को असाधारण रिटर्न के झूठे वादे करके लुभाया गया। ये योजनाएं असल में अनियमित प्लेटफार्म थीं, जो पोंजी योजना की तरह काम करती थीं, जहां नए निवेशकों के फंड का इस्तेमाल पुराने निवेशकों को भुगतान करने के लिए किया जाता था।
ईडी द्वारा किए गए तलाशी अभियानों से पता चला है कि आरोपियों ने कई फर्जी क्रिप्टो प्लेटफॉर्म बनाए, फर्जी टोकन की कीमतों में हेरफेर की और धोखाधड़ी को छिपाने के लिए समय-समय पर प्लेटफार्म को बंद कर दिया और उनका नाम बदल दिया।
पोंजी योजना में कमीशन एजेंट के रूप में काम करने वाले कई व्यक्तियों ने भोले-भाले नए निवेशकों को लुभाकर कमीशन के रूप में करोड़ों रुपए कमाए। नए निवेशकों को आकर्षित करने और पोंजी योजना का विस्तार करने के लिए विदेशी यात्रा प्रोत्साहन और प्रचार कार्यक्रमों का इस्तेमाल किया गया।
4 नवंबर 2023 को सक्षम प्राधिकरण द्वारा जारी फ्रीजिंग ऑर्डर (राज्य पुलिस की जांच के आधार पर) के बावजूद, जिसकी सूचना फाइनेंस सेक्रेटरी, कोर्ट और पंजाब सरकार के रेवेन्यू अधिकारियों को विधिवत दे दी गई थी, पंजाब के जीरकपुर में स्थित 15 प्लॉट में से एक को गिरफ्तार आरोपी (जिसे हिमाचल प्रदेश पुलिस ने 2025 में गिरफ्तार किया था) विजय जुनेजा ने कानून का उल्लंघन करते हुए बेच दिया।
ईडी द्वारा किए गए सर्च ऑपरेशन के परिणामस्वरूप 3 लॉकर और बैंक बैलेंस/फिक्स्ड डिपॉजिट, जिनकी कुल कीमत लगभग 1.2 करोड़ है, को फ्रीज कर दिया गया है। इसके अलावा, कई अचल संपत्तियों में किए गए निवेश से संबंधित विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज, जिनमें बेनामी संपत्तियां भी शामिल हैं, जिन्हें आरोपियों ने पोंजी स्कीम के माध्यम से उत्पन्न अपराध की आय का उपयोग करके हासिल किया था।