क्या ईडी ने जेपी इंफ्राटेक के पूर्व सीएमडी मनोज गौर को गिरफ्तार किया?

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क्या ईडी ने जेपी इंफ्राटेक के पूर्व सीएमडी मनोज गौर को गिरफ्तार किया?

सारांश

हाल ही में, प्रवर्तन निदेशालय ने जेपी इंफ्राटेक के पूर्व सीएमडी मनोज गौर को गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी घर खरीदारों के पैसे के दुरुपयोग और परियोजनाओं में देरी से संबंधित मामले में की गई। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे का सच।

Key Takeaways

  • मनोज गौर की गिरफ्तारी ने एक नई बहस को जन्म दिया है।
  • घर खरीदारों के पैसे का दुरुपयोग गंभीर मुद्दा है।
  • ईडी की कार्रवाई से अन्य कंपनियों को सख्त संदेश मिला है।
  • आवासीय परियोजनाओं में पारदर्शिता आवश्यक है।
  • इस मामले का प्रभाव व्यापक हो सकता है।

नई दिल्ली, 13 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई में जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के पूर्व सीएमडी मनोज गौर को घर खरीदारों के पैसे के दुरुपयोग और नोएडा के आसपास की परियोजनाओं में देरी से जुड़े धन शोधन के मामले में गिरफ्तार किया। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी है।

मेसर्स जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौर को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया।

ईडी की जांच में यह पाया गया कि जेएएल और जेआईएल की ओर से घर खरीदारों से एकत्र किए गए लगभग 14,599 करोड़ रुपए में से बड़ी राशि को गैर-निर्माण उद्देश्यों के लिए डायवर्ट किया गया था।

ईडी ने जेपी विशटाउन और जेपी ग्रीन्स परियोजनाओं के घर खरीदारों द्वारा दर्ज की गई शिकायतों के आधार पर दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज कई एफआईआर के आधार पर जेपी समूह के खिलाफ जांच शुरू की। इन शिकायतों में कंपनी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप लगाया गया था।

ईडी ने एक बयान में कहा कि आवासीय परियोजनाओं के निर्माण और पूरा होने के लिए हजारों घर खरीदारों से एकत्रित धन को निर्माण के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए डायवर्ट किया गया, जिससे घर खरीदारों को धोखा मिला और उनकी परियोजनाएं अधूरी रह गईं।

यह धन जेपी सेवा संस्थान (जेएसएस), मेसर्स जेपी हेल्थकेयर लिमिटेड (जेएचएल) और मेसर्स जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड (जेएसआईएल) सहित संबंधित समूह संस्थाओं और ट्रस्टों में स्थानांतरित कर दिया गया।

प्रवर्तन निदेशालय ने 23 मई को मनोज गौर की प्रमुख रियल एस्टेट विकास कंपनियों जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड और जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड और उनकी सहयोगी संस्थाओं से जुड़े 15 परिसरों की तलाशी ली थी।

तलाशी दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और मुंबई में ली गई, जिनमें मेसर्स जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड और मेसर्स जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के कार्यालय और परिसर शामिल थे। तलाशी के दौरान, ईडी ने बड़ी मात्रा में वित्तीय और डिजिटल रिकॉर्ड, साथ ही धन शोधन और धन के हेराफेरी के अपराध के साक्ष्य वाले दस्तावेज जब्त किए।

कार्रवाई के दौरान, अधिकारियों ने 1.7 करोड़ रुपए की नकदी, वित्तीय रिकॉर्ड, डिजिटल डेटा और प्रमोटरों, उनके परिवार के सदस्यों और समूह की कंपनियों के नाम पर पंजीकृत संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए।

जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) द्वारा 526 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान न करने के बाद, आईडीबीआई बैंक ने सबसे पहले राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), इलाहाबाद में जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के खिलाफ याचिका दायर की थी। एनसीएलटी ने 9 अगस्त, 2017 को दिवालियेपन प्रक्रिया शुरू की।

Point of View

यह कहना सही है कि देश में आवासीय परियोजनाओं में पारदर्शिता की कमी और धन के दुरुपयोग की घटनाएं चिंताजनक हैं। इस मामले ने एक बार फिर दिखाया है कि कैसे कुछ कंपनियाँ विश्वास का उल्लंघन करके हजारों घर खरीदारों को चोट पहुँचा सकती हैं। यह समय है कि हम इस दिशा में ठोस कदम उठाएं।
NationPress
13/11/2025

Frequently Asked Questions

मनोज गौर की गिरफ्तारी का कारण क्या है?
मनोज गौर की गिरफ्तारी घर खरीदारों के पैसे के दुरुपयोग और परियोजनाओं में देरी से जुड़े धन शोधन के आरोप में हुई है।
ईडी ने किस अधिनियम के तहत कार्रवाई की?
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 19 के तहत कार्रवाई की।
कितनी राशि का दुरुपयोग हुआ?
करीब 14,599 करोड़ रुपए का दुरुपयोग किया गया।
क्या कार्रवाई के दौरान कुछ दस्तावेज जब्त किए गए?
हाँ, कार्रवाई के दौरान वित्तीय और डिजिटल रिकॉर्ड के साथ-साथ बड़ी मात्रा में नकदी भी जब्त की गई।
क्या आईडीबीआई बैंक ने पहले कोई कार्रवाई की थी?
हाँ, आईडीबीआई बैंक ने पहले एनसीएलटी में याचिका दायर की थी।