क्या चुनाव आयोग को भाजपा ने अपने हाथों का हथियार बना लिया है? : चिगुरुपति बाबू राव

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क्या चुनाव आयोग को भाजपा ने अपने हाथों का हथियार बना लिया है? : चिगुरुपति बाबू राव

सारांश

बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर सीपीआई(एम) नेता चिगुरुपति बाबू राव का बयान, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग को भाजपा का खिलौना बताया है। क्या इस बयान से चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठता है? जानें इस लेख में।

Key Takeaways

  • मतदाता सूची में संशोधन पर विवाद
  • चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल
  • भाजपा का मतदाता को बरगलाने का प्रयास
  • विपक्ष के दबाव में आयोग की कार्रवाई
  • आधार कार्ड की पहचान के रूप में अनदेखी

विजयवाड़ा, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में मतदाता सूची संशोधन को लेकर सीपीआई(एम) नेता चिगुरुपति बाबू राव ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग को भाजपा के हाथों का खिलौना करार दिया है।

उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है और यह असली पात्र मतदाताओं को सीमित कर रहा है। अब भारत का चुनाव आयोग सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में काम कर रहा है, और केंद्र सरकार अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रही है। इसके साथ ही, चुनाव आयोग को अपने हाथों का हथियार बना दिया है। बिहार में जनमानस भाजपा और एनडीए के खिलाफ है। भाजपा मतदाताओं को बरगलाने का प्रयास कर रही है।

उन्होंने आगे कहा कि यह सूची से वास्तविक पात्र मतदाताओं को हटाने का प्रयास है। बिहार में जनमानस भाजपा और एनडीए के खिलाफ है। भाजपा के नेता अपने स्वार्थों की रक्षा के लिए मतदाताओं को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह विशेष संशोधन योग्य मतदाताओं को प्रतिबंधित करने का एक कदम है। विपक्ष के दबाव के बाद चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से विशेष फॉर्म वापस ले लिया है, जो चुनाव आयोग की गलती को उजागर करता है। बिहार में चुनाव आयोग की भूमिका पूरी तरह से सामने आ गई है।

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए आधार कार्ड को चुनाव आयोग पहचान के सबूत के रूप में स्वीकार नहीं कर रहा है। इसके बजाय, वे पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज मांग रहे हैं। यह एक विरोधाभासी कदम है। चुनाव आयोग को पुनर्विचार करना चाहिए और आधार और अन्य ईपीआईसी कार्ड को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार करना चाहिए। इन कार्डों के आधार पर मतदाता सूची तैयार की जानी चाहिए। अन्यथा, जनता और विपक्षी दल भविष्य में भी विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे।

Point of View

यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता लोकतंत्र का आधार है। किसी भी राजनीतिक दल का हस्तक्षेप इस स्वतंत्रता को कमजोर कर सकता है। हमें एक मजबूत लोकतंत्र की आवश्यकता है, जहां चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

चिगुरुपति बाबू राव ने चुनाव आयोग पर क्या आरोप लगाए?
उन्होंने चुनाव आयोग को भाजपा के हाथों का खिलौना बताया और कहा कि मतदाता सूची का संशोधन पक्षपातपूर्ण है।
क्या चुनाव आयोग ने विशेष फॉर्म वापस लिया?
हां, विपक्ष के दबाव के बाद चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से विशेष फॉर्म वापस ले लिया।
केंद्र सरकार आधार कार्ड को पहचान पत्र के तौर पर क्यों नहीं मानती?
चुनाव आयोग पासपोर्ट और अन्य दस्तावेजों की मांग कर रहा है, जो कि एक विवादास्पद कदम है।