क्या चुनाव आयोग ने मतदाताओं को पूरे अधिकार देने के लिए सुधार किए हैं? : अनुराग ठाकुर
सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग ने मतदाताओं के लिए सुधार किए हैं।
- पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने कई पुराने कानूनों को समाप्त किया है।
- चुनावों की निष्पक्षता पर विपक्ष की चिंताएं हैं।
- चुनाव सुधारों पर लोकसभा में चर्चा जारी है।
- सरकार का उद्देश्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में चुनावी सुधारों पर चर्चा चल रही है। इस बीच भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को कहा कि चुनाव आयोग ने नागरिकों को पूर्ण वोटिंग अधिकार देने के लिए कई सुधार किए हैं और ऐसे कदमों का विरोध नहीं किया जाना चाहिए।
राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा, "चुनाव सुधारों के संदर्भ में मैं यही कहूंगा कि पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने ब्रिटिश काल के हजारों पुराने कानूनों को समाप्त किया है। इसके साथ ही आजाद भारत में लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए नए कानून बनाए गए हैं।"
उन्होंने कहा, "अब, चुनाव आयोग ने वोटरों को पूरे अधिकार देने के लिए चुनावी सुधार किए हैं। इसका कोई विरोध नहीं होना चाहिए। बिहार चुनावों के दौरान, किसी भी व्यक्ति ने यह दावा नहीं किया कि उनका वोट हटा दिया गया है। राजनीतिक पार्टियों के पास भी आपत्ति उठाने के लिए पर्याप्त समय था, लेकिन किसी ने यह नहीं कहा कि उन्हें वोट देने से रोका गया।"
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा चल रही है। सदन ने विस्तृत चर्चा के लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया है।
लंबी बहस में कई चिंताओं का समावेश किए जाने की आशंका है, जिसमें चुनाव आयोग की भूमिका, चुनाव प्रचार के लिए फंडिंग में पारदर्शिता, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोकना, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की विश्वसनीयता और मतदाता सूची की गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया शामिल हैं।
सरकार का कहना है कि इस प्रयास का उद्देश्य चुनावी निष्पक्षता को मजबूत करना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है। हालांकि, विपक्ष से चुनावों की निष्पक्षता पर चिंता जताने और 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' जैसे प्रस्तावों पर सवाल उठाने की उम्मीद है।
ज्ञात हो कि कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा की शुरुआत की है। चर्चा की शुरुआत से पहले स्पीकर ओम बिरला ने इसे संवेदनशील चर्चा बताते हुए सभी सदस्यों से आरोप-प्रत्यारोप से बचकर चुनाव सुधार पर केंद्रित रहने का निवेदन किया।