क्या एसआईआर से चुनावों में धांधली तक, इलेक्शन कमीशन ने विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया?

सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर प्रक्रिया सभी राजनीतिक दलों के लिए आवश्यक है।
- चुनाव आयोग ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
- मतदाता सूची में त्रुटियों का समाधान सभी को मिलकर करना होता है।
- चुनाव आयोग सभी मतदाताओं के साथ खड़ा है।
- पारदर्शिता चुनावी प्रक्रिया का अहम हिस्सा है।
नई दिल्ली, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया के विरोध और ‘वोट चोरी’ जैसे विपक्षी दलों के आरोपों पर विस्तार से जवाब दिया है। रविवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है। आयोग ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह देश के मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा है।
चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "पहले हम मतदाताओं के नाम एक संदेश भेजना चाहते हैं। भारत के संविधान के अनुसार, हर भारतीय नागरिक जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो, उसे मतदाता बनना चाहिए और मतदान करना चाहिए।"
राजनैतिक दलों के बीच मतभेद के बारे में आयोग ने कहा, "आप सभी जानते हैं कि कानून के अनुसार, हर राजनैतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन से होता है, तो फिर चुनाव आयोग उन राजनैतिक दलों में भेदभाव कैसे कर सकता है? चुनाव आयोग के लिए न तो कोई विपक्ष है, न कोई पक्ष है, सब समान हैं। चाहे किसी भी राजनैतिक दल का कोई भी हो, चुनाव आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा।"
एसआईआर पर उठते सवालों का जवाब देते हुए आयोग ने कहा, "पिछले दो दशकों से लगभग सभी राजनैतिक दल मतदाता सूची में त्रुटियों के सुधार के लिए मांग करते रहे हैं। इसी मांग को पूरा करने के लिए ही एसआईआर की शुरुआत बिहार से की गई। एसआईआर की प्रक्रिया में सभी मतदाता, बीएलओ और सभी राजनैतिक दलों के नामित बीएलए मिलकर एक प्रारूप सूची तैयार करते हैं।"
आयोग के बयान में कहा गया है, "प्रारूप सूची में त्रुटियां हटाने के लिए, एक बार फिर, निर्धारित समय पर सभी मतदाता और राजनैतिक दल मिलकर अपना योगदान दे रहे हैं। इसके लिए बिहार के एसआईआर में 1 अगस्त से 1 सितम्बर तक का समय निर्धारित है। अभी भी 15 दिन का समय बाकी है। आयोग के दरवाजे सबके लिए खुले हैं।"
चुनाव आयोग ने चिंता जताई कि या तो राजनीतिक दलों के नेताओं तक बीएलए की सत्यापित आवाज नहीं पहुंच रही है या फिर वह जमीनी सच को नजरअंदाज करके भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। आयोग ने स्पष्ट कहा कि जमीनी स्तर पर सभी मतदाता, सभी राजनैतिक दल और सभी बीएलओ मिलकर पारदर्शी तरीके से कार्य कर रहे हैं, सत्यापित कर रहे हैं और वीडियो टेस्टिमोनियल भी दे रहे हैं।
आयोग ने 7 करोड़ से अधिक बिहार के मतदाताओं का जिक्र करते हुए कहा कि सभी स्टेकहोल्डर एसआईआर को पूर्ण रूप से सफल बना रहे हैं। जब सभी वोटर्स हमारे साथ खड़े हैं तो दोनों की साख पर कोई प्रश्नचिन्ह खड़ा नहीं हो सकता है।
विपक्ष की तरफ से समय पर मतदाता सूची में त्रुटियां साझा न करने और कोर्ट में कोई याचिका दायर न करने पर सवाल उठाते हुए आयोग ने कहा कि ‘वोट चोरी’ जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह करने का प्रयास भारत के संविधान का अपमान है।
मशीन रिडेबल मतदाता सूची को लेकर भी आयोग ने जवाब दिया, "सुप्रीम कोर्ट 2019 में कह चुका है कि यह मतदाता की निजता का हनन हो सकता है। हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की फोटो को उनकी अनुमति के बिना मीडिया के सामने इस्तेमाल किया गया।" इसी दौरान, आयोग ने पूछा, "क्या अपनी माताओं, बहू, बेटियों समेत किसी भी मतदाता की सीसीटीवी फुटेज हमें साझा करनी चाहिए?"
‘वोट चोरी’ के आरोपों पर आयोग ने कहा, "मतदाता सूची में जिसका नाम होता है, वही अपने चयनित प्रत्याशी को वोट डालता है। लोकसभा के चुनाव की प्रक्रिया में 1 करोड़ से भी अधिक कर्मचारी, 10 लाख से भी अधिक बीएलए और 20 लाख से अधिक उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट्स कार्य करते हैं। इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में कोई भी मतदाता वोट की चोरी कैसे कर सकता है? कुछ मतदाताओं द्वारा दोहरे मतदान के आरोप लगाए गए। सबूत मांगने पर जवाब नहीं मिला। ऐसे मिथ्या आरोपों से न तो चुनाव आयोग डरता है, न ही कोई मतदाता।"
बयान में स्पष्ट कहा गया है, "जब चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही हो, तो हम सबको स्पष्ट करना चाहते हैं कि चुनाव आयोग निडरता के साथ सभी गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला और युवा समेत सभी वर्गों व धर्मों के मतदाताओं के साथ बिना किसी भेदभाव के चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा।"