क्या फारूक अब्दुल्ला ने एलजी पर जन कल्याणकारी योजनाओं की फाइलों में देरी का आरोप लगाया?
सारांश
Key Takeaways
- फाइलों में देरी से जन कल्याण योजनाओं पर असर पड़ता है।
- प्रशासन और निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच सहयोग आवश्यक है।
- जम्मू-कश्मीर की एकता का महत्व है।
- प्रधानमंत्री मोदी से मदद की अपील की गई है।
- नेशनल कॉन्फ्रेंस ने आगामी उपचुनावों में सफलता का विश्वास जताया है।
जम्मू, ३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पर जन कल्याण और विकास से संबंधित फाइलों में देरी करने का आरोप लगाया। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि उपराज्यपाल सिन्हा फाइलों को रोक रहे हैं और इससे हमारी सरकार के कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है। उन्हें चाहिए कि वे सरकार और जनता दोनों के सहयोगी के रूप में काम करें। अगर प्रशासन सुविधाकर्ता बनने की बजाय बाधा बन जाए तो प्रगति कैसे संभव है?
डॉ. अब्दुल्ला ने आगे कहा कि शासन का अर्थ केवल कागजी कार्रवाई नहीं है, बल्कि जमीनी स्तर पर लोगों को सेवाएं प्रदान करना है। उन्होंने क्षेत्रीय एकता की अपील की और कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा एक इकाई रहा है और भविष्य में भी रहेगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जम्मू और कश्मीर अविभाज्य हैं और दोनों क्षेत्र साझा आस्था, भाषा और भाईचारे के बंधन में हैं।
जम्मू चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रति उनके गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए धन्यवाद देते हुए उन्होंने इसे सांप्रदायिक सद्भाव का सच्चा उदाहरण बताया।
राज्य के दर्जे की बहाली के संदर्भ में अब्दुल्ला ने कहा कि इंशाअल्लाह, यह जल्द ही होगा।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से जम्मू-कश्मीर पर अधिक ध्यान देने और हाल ही में आए तूफानों से प्रभावित लोगों की मदद करने का आग्रह किया।
डॉ. अब्दुल्ला ने बडगाम और नगरोटा में आगामी उपचुनावों के लिए विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस को इन निर्वाचन क्षेत्रों में सफलता की उम्मीद है।
एनसी सरकार के प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि कुछ वादे पूरे किए गए हैं, और आगे भी वादे पूरे करने का आश्वासन दिया।