क्या फर्जी मतदाताओं की पहचान के लिए एसआईआर आवश्यक है?: मंत्री नरेंद्र कश्यप

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क्या फर्जी मतदाताओं की पहचान के लिए एसआईआर आवश्यक है?: मंत्री नरेंद्र कश्यप

सारांश

उत्तर प्रदेश के मंत्री नरेंद्र कश्यप ने सुप्रीम कोर्ट के मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर उठाए गए मुद्दे पर बात की। उन्होंने फर्जी मतदाताओं की पहचान के लिए आवश्यक कदम उठाने का समर्थन किया। जानिए उनके विचार और इसके लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं।

Key Takeaways

  • फर्जी मतदाताओं की पहचान के लिए मतदाता सूची पुनरीक्षण आवश्यक है।
  • सुप्रीम कोर्ट का समर्थन इस प्रक्रिया को और भी मजबूत बनाता है।
  • मतदाता सूची में सुधार से लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी।
  • बिहार में चुनाव आयोग ने फर्जी मतदाताओं की पहचान के लिए पहल की है।
  • नरेंद्र कश्यप ने विपक्षी दलों को भी इस मुद्दे की गंभीरता को समझने की सलाह दी है।

लखनऊ, 16 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री नरेंद्र कश्यप ने मतदाता सूची पुनरीक्षण से संबंधित सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया।

उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट एक सर्वोच्च न्यायिक संस्था है। इसके पास अधिकार है कि अगर उसे किसी भी प्रकार की विसंगति नजर आती है, तो वह उसकी समीक्षा करके सुधार के निर्देश दे सकता है। लेकिन, इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता कि आज की तारीख में मतदाता सूची पुनरीक्षण हम सभी की आवश्यकता है। बिहार में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची पुनरीक्षण के आदेश देकर निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त किया है।

उन्होंने कहा कि बिहार में 65 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। इनमें कई फर्जी हैं, कुछ का निधन हो चुका है, तो कई अन्य स्थानों पर रहते हैं, और कई डबल वोटिंग भी कर रहे हैं। फर्जी मतदाता लोकतंत्र की व्यवस्था के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं हैं। यदि हमें फर्जी मतदाताओं की पहचान करनी है, तो इसके लिए हमें मतदाता सूची पुनरीक्षण का सहारा लेना होगा। इस प्रक्रिया के माध्यम से हम जान पाएंगे कि फर्जी वोटिंग कौन कर रहा है? इस तरह हम अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था को सशक्त बना सकेंगे।

मंत्री नरेंद्र कश्यप ने यह भी कहा कि अब धीरे-धीरे विपक्षी दलों के लोग भी इस बात को समझ रहे हैं कि फर्जी वोटिंग लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। यह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने का काम करेगी।

उन्होंने एआईएमआईएम के नेता शौकत अली की महाराजा सुहेलदेव पर विवादित टिप्पणी के संबंध में कहा कि कोई नेता कैसे महान हस्ती के संदर्भ में ऐसी अपमानजनक टिप्पणी कर सकता है? निश्चित रूप से इस तरह की टिप्पणी को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। सुहेलदेव ने भारत की समृद्धि के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। वे हिंदू धर्म के प्रहरी थे। इस स्थिति में ओवैसी की पार्टी का एक नेता उनके संबंध में अपमानजनक भाषा का उपयोग कर रहा है। हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि फर्जी मतदाताओं की पहचान करना हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली की मजबूती के लिए आवश्यक है। हमें इस प्रक्रिया को उचित तरीके से लागू करना चाहिए ताकि सभी मतदाताओं की आवाज सुनी जा सके।
NationPress
16/09/2025

Frequently Asked Questions

फर्जी मतदाता क्या हैं?
फर्जी मतदाता वे होते हैं जो चुनावी प्रक्रिया में अवैध रूप से भाग लेते हैं, जैसे कि डबल वोटिंग करना या मृत व्यक्तियों के नाम पर मतदान करना।
मतदाता सूची पुनरीक्षण का क्या महत्व है?
यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि मतदाता सूची सही और अद्यतन हो, जिससे निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव संभव हो सकें।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका क्या है?
सुप्रीम कोर्ट न्यायिक संस्था के रूप में चुनावी प्रक्रिया में सुधार करने और आवश्यक दिशा-निर्देश देने का कार्य करती है।
क्यों जरूरी है फर्जी मतदाताओं की पहचान?
फर्जी मतदाताओं की पहचान करना लोकतंत्र को मजबूत बनाता है और यह सुनिश्चित करता है कि हर मतदाता की आवाज सुनी जाए।
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण का क्या प्रभाव है?
यह प्रक्रिया बिहार में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।