क्या मुंबई में फर्जी 'परमाणु वैज्ञानिक' अख्तर हुसैन गिरफ्तार हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- अख्तर हुसैन को फर्जी पहचान से गिरफ्तार किया गया।
- उसके पास नकली दस्तावेज मिले हैं।
- पुलिस जांच कर रही है कि उसने इन दस्तावेजों का कैसे उपयोग किया।
- यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है।
- स्थानीय निवासियों ने इसकी गंभीरता को समझा।
मुंबई, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मुंबई क्राइम ब्रांच की सीआईयू यूनिट ने एक बड़े धोखाधड़ी मामले का खुलासा करते हुए 60 वर्षीय अख्तर हुसैन कुतुबुद्दीन अहमद को गिरफ्तार किया है।
यह व्यक्ति खुद को भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र का वैज्ञानिक बताकर लोगों को गुमराह कर रहा था। पूछताछ में यह बात सामने आई कि अख्तर पिछले 20 साल से 'अलेक्जेंडर पामर' के नाम से जीवन बिता रहा था और उसके पास तीन नकली पासपोर्ट, फर्जी डिग्रियां और संवेदनशील दस्तावेज थे।
पुलिस ने वर्सोवा स्थित अख्तर के घर पर छापा मारा, जहां 14 संवेदनशील नक्शे और दस्तावेज बरामद हुए, जो कथित तौर पर परमाणु बम डिजाइन से जुड़े थे। इसके अलावा, एक नकली बीएआरसी पहचान पत्र भी मिला, जिसमें अख्तर की तस्वीर थी, लेकिन नाम 'अली रजा हुसैनी' लिखा था। यह कार्ड असली आईडी से इतना मिलता-जुलता था कि इसे पहचानना मुश्किल हो गया।
अधिकारी जांच कर रहे हैं कि क्या अख्तर ने इस कार्ड का इस्तेमाल बीएआरसी के प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश या संवेदनशील तस्वीरें लेने के लिए किया था। छापेमारी में नकली पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मोबाइल फोन और पेन ड्राइव भी जब्त किए गए। इन डिजिटल उपकरणों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है, ताकि और सबूत जुटाए जा सकें।
पुलिस को शक है कि अख्तर ने इन दस्तावेजों का इस्तेमाल विभिन्न ठिकानों पर धोखाधड़ी के लिए किया होगा। साथ ही, उसके पास न्यूक्लियर प्लांट के ब्लूप्रिंट भी मिले, जिनकी जांच जारी है।
पुलिस के मुताबिक, अख्तर ने नाम और पहचान बार-बार बदली, जिससे उसकी गतिविधियों पर शक हुआ। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा होने के कारण गंभीर माना जा रहा है। जांच एजेंसियां पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि अख्तर ने संवेदनशील जानकारियां कहां से हासिल कीं और उसका मकसद क्या था।
इस मामले पर स्थानीय निवासियों ने बताया, "हम लोगों ने कभी सोचा नहीं था कि हमारे पड़ोस में ऐसा शख्स रह रहा था।"