क्या एफएटीएफ की पाक को दी गई नसीहत 'ग्रे लिस्ट' से निकलने के बाद भी प्रभावी है?

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क्या एफएटीएफ की पाक को दी गई नसीहत 'ग्रे लिस्ट' से निकलने के बाद भी प्रभावी है?

सारांश

क्या पाकिस्तान को एफएटीएफ की चेतावनी का गंभीरता से लेना चाहिए? जानिए इस महत्वपूर्ण रिपोर्ट में कि ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने का क्या मतलब है।

Key Takeaways

  • एफएटीएफ ने पाकिस्तान को चेताया है कि ग्रे लिस्ट से निकलना उसकी जिम्मेदारियों को खत्म नहीं करता।
  • संस्था सभी देशों से अवैध वित्तीय गतिविधियों के खिलाफ सतर्कता बनाए रखने की अपील कर रही है।
  • पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

पेरिस, 25 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वैश्विक आतंक वित्तपोषण पर निगरानी रखने वाली संस्था ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान को समझना चाहिए कि अक्टूबर 2022 में उसे ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर लाने का अर्थ यह नहीं है कि अब उस पर आतंकवाद की फंडिंग या मनी लॉन्ड्रिंग पर निगरानी नहीं होगी।

फ्रांस में आयोजित एफएटीएफ की बैठक के बाद, संस्था की अध्यक्ष एलिसा दे आंडा माद्राजो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पाकिस्तान सहित सभी देशों को अवैध आर्थिक गतिविधियों से निपटने के प्रति सतर्क और प्रतिबद्ध रहना चाहिए, चाहे उन्हें ग्रे लिस्ट से हटा दिया गया हो।

माद्राज़ो ने कहा, "कोई भी देश जो ग्रे लिस्ट में रहा है, वह अपराधियों की गतिविधियों के प्रति पूरी तरह सुरक्षित नहीं है - चाहे वे धन शोधन करने वाले हों या आतंकवादी। इसलिए हम सभी देशों से अपील करते हैं कि वे ऐसे अपराधों को रोकने के लिए अपने प्रयास जारी रखें।”

पाकिस्तान को अक्टूबर 2022 में ग्रे लिस्ट से हटा दिया गया था, लेकिन उस पर अब भी यह देखने के लिए निगरानी जारी है कि वह आतंक वित्तपोषण के खिलाफ उठाए गए कदमों को सही तरीके से लागू कर रहा है या नहीं। चूंकि पाकिस्तान एफएटीएफ का सदस्य नहीं है, इसलिए इस पर निगरानी का कार्य एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) कर रहा है।

एफएटीएफ की प्रमुख ने बताया कि ग्रे लिस्ट में वे देश शामिल होते हैं जिनकी आतंक वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने की व्यवस्था में गंभीर खामियां पाई जाती हैं। उन्होंने कहा, “ग्रे लिस्ट से बाहर होना प्रक्रिया का अंत नहीं है। हम उम्मीद करते हैं कि देश अपनी प्रणालियों को मजबूत करेंगे और उन खामियों को दूर करेंगे जिनका अपराधी फायदा उठाते हैं।"

यह बयान ऐसे समय में आया है जब रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैसे जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) डिजिटल वॉलेट और छिपे हुए वित्तीय नेटवर्क का उपयोग करके अपने प्रशिक्षण कैंप चला रहे हैं।

भारत की ‘नेशनल रिस्क असेसमेंट रिपोर्ट 2022’ ने भी पाकिस्तान को आतंक वित्तपोषण का बड़ा स्रोत बताया है, विशेषकर उन संगठनों के माध्यम से जो वहां की सरकारी संस्था ‘नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स’ (एनडीसी) से जुड़े हैं।

एफएटीएफ की रिपोर्ट में भारत के इनपुट भी शामिल हैं और यह बताती है कि दक्षिण एशिया क्षेत्र में राज्य प्रायोजित आतंकवाद और परमाणु प्रसार से जुड़ी वित्तीय गतिविधियों का खतरा अभी भी बना हुआ है।

माद्राजो ने कहा, “एफएटीएफ का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर मानक तय करना और यह सुनिश्चित करना है कि सभी देश उन्हें सही ढंग से लागू करें। हमारा लक्ष्य स्पष्ट है - आतंकवादियों और अपराधियों को धन से वंचित करना।”

पेरिस में संपन्न बैठक में नए मूल्यांकन मानकों के तहत बेल्जियम और मलेशिया की समीक्षा की गई। साथ ही, बुर्किना फ़ासो, मोज़ाम्बिक, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका को उनकी कार्ययोजनाएं पूरी करने के बाद ग्रे सूची से हटा दिया गया है।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि वैश्विक सुरक्षा के संदर्भ में हर देश की जिम्मेदारियाँ होती हैं। पाकिस्तान को अपनी आर्थिक नीतियों और आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने चाहिए। हमें इस दिशा में सतर्क रहना होगा।
NationPress
25/10/2025

Frequently Asked Questions

एफएटीएफ क्या है?
एफएटीएफ, या फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स, एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण को रोकने के लिए वैश्विक मानकों को स्थापित करती है।
पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाने का क्या मतलब है?
पाकिस्तान का ग्रे लिस्ट से हटना यह नहीं दर्शाता कि उसे आतंकवाद या मनी लॉन्ड्रिंग पर निगरानी से छूट मिली है।
एफएटीएफ में सदस्यता का क्या महत्व है?
एफएटीएफ का सदस्य बनने से देशों को अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करने में मदद मिलती है और वे वैश्विक वित्तीय प्रणाली में एकीकृत होते हैं।