क्या फैटी लिवर एक गंभीर समस्या है? जानें इन आयुर्वेदिक उपायों से कैसे मिलेगा छुटकारा

सारांश
Key Takeaways
- फैटी लिवर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है।
- आंवला जूस लिवर को डिटॉक्स करता है।
- हल्दी वाला दूध सूजन कम करता है।
- योग और प्राणायाम करने से लाभ होता है।
- तैलीय फूड से बचें।
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आज के दौर में फैटी लिवर एक सामान्य, फिर भी गंभीर समस्या बनता जा रहा है। यह रोग बिना किसी स्पष्ट लक्षण के चुपचाप बढ़ता है और जब तक इसका पता चलता है, तब तक लिवर को काफी नुकसान पहुँच चुका होता है। लेकिन कुछ घरेलू उपाय और जीवनशैली में बदलाव से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
फैटी लिवर का अर्थ है लिवर में अत्यधिक चर्बी का जमा होना। जब यह चर्बी लिवर के कुल वजन का 5-10 प्रतिशत तक पहुँच जाती है, तो इसे फैटी लिवर कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे यकृत-मेदोरोग कहा गया है, जिसमें लिवर की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है और वसा का पाचन सही तरीके से नहीं हो पाता।
फैटी लिवर के कई कारण हो सकते हैं। सबसे प्रमुख कारण है अत्यधिक शराब का सेवन, जो सीधे लिवर को नुकसान पहुँचाता है। इसके अलावा, मोटापा, तैलीय और फास्ट फूड का अधिक सेवन, डायबिटीज, लंबे समय तक बैठना और व्यायाम की कमी, कुछ दवाओं का अधिक उपयोग, मानसिक तनाव और अनियमित जीवनशैली भी इसके कारण बन सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, जब शरीर में मेद (वसा) बढ़ता है और अग्नि कमजोर होती है, तब लिवर की कोशिकाएँ फैट को नहीं तोड़ पातीं और फैटी लिवर का प्रकोप बढ़ता है।
इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए कुछ घरेलू उपाय प्रभावी हो सकते हैं, जैसे कि रोज सुबह आंवला जूस पीना, जो लिवर को डिटॉक्स करता है। हल्दी वाला दूध लिवर की सूजन को कम करता है। त्रिफला चूर्ण कब्ज को दूर करता है और लिवर को साफ करता है। नीम और गिलोय शरीर से विषैले तत्वों को निकालते हैं। पपीता और लहसुन लिवर पर बोझ को कम करते हैं और चर्बी को घटाते हैं।
इसके अलावा, जीवनशैली में सुधार भी आवश्यक है। रोज़ कम से कम 30 मिनट पैदल चलें, योग और प्राणायाम करें, शराब और धूम्रपान से दूर रहें। तैलीय और पैकेज्ड फूड से परहेज करें। भोजन में हरी सब्जियाँ, मौसमी फल, साबुत अनाज, दालें और पर्याप्त पानी शामिल करें। मीठे पेय पदार्थों से बचें।