क्या फिजी में एचआईवी संकट और बच्चों की मौतें बढ़ रही हैं?

सारांश
Key Takeaways
- फिजी में एचआईवी संकट गंभीर है।
- पिछले साल 126 लोगों की मौत हुई।
- 2024 में 1,583 नए मामले सामने आए।
- सरकार ने 10 मिलियन फिजी डॉलर का बजट रखा है।
- रोकथाम और इलाज की सुविधाएं समय पर नहीं पहुंच रही हैं।
सुवा, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। फिजी में एचआईवी की समस्या अत्यंत गंभीर होती जा रही है। पिछले वर्ष एचआईवी के कारण 126 लोगों की जान गई, जिनमें 8 बच्चे शामिल थे।
लाबासा में फिजी मेडिकल एसोसिएशन की बैठक में यूएनएड्स के प्रशांत सलाहकार रेनाटा राम ने ये चिंताजनक आंकड़े साझा किए। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसे स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता है जो मजबूत, जिम्मेदार और नवीनतम तरीकों से काम करे ताकि एचआईवी जैसी समस्याओं का बेहतर सामना किया जा सके।
रेनाटा राम ने बताया कि फिजी में एचआईवी की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। इस वर्ष की कांफ्रेंस का विषय फिजी में स्वास्थ्य सेवाओं के मानकों को बेहतर बनाना है।
उन्होंने कहा कि फिजी में 2024 में 1,583 नए एचआईवी पॉजिटिव मामले दर्ज किए गए, जो कि 2023 की तुलना में 281 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। 2018 के मुकाबले यह संख्या 500 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है।
2024 में एचआईवी के मामलों में से 1,542 वयस्क थे, लेकिन बच्चों में 41 मामलों की सबसे अधिक चिंता थी। इनमें से 32 बच्चे अपनी मां से एचआईवी संक्रमित हुए थे। यह संख्या 2023 के मुकाबले लगभग चार गुना अधिक है।
रेनाटा राम ने कहा कि ये बढ़े हुए आंकड़े केवल बेहतर परीक्षण की वजह से नहीं हैं। ये वास्तविकता में एचआईवी के मामलों में वृद्धि को दर्शाते हैं।
उन्होंने बताया कि अधिकांश लोगों को एचआईवी का पता काफी देर से चलता है, जब तक उनकी बीमारी पहले से ही बढ़ चुकी होती है। इसका मतलब है कि रोकथाम, परीक्षण और इलाज की सुविधाएं समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।
रेनाटा राम ने कहा कि नए एचआईवी मामलों में से आधे से अधिक मामले युवा लोगों के बीच हो रहे हैं, जो कि इंजेक्शन से नशा करने और जोखिम भरे यौन व्यवहार के कारण हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, "यह समस्या केवल स्वास्थ्य की नहीं है। यह समाज में गरीबी, महिलाओं के प्रति हिंसा, और इलाज में भेदभाव की भी परछाई दिखाती है।"
रेनाटा राम ने फिजी सरकार की तारीफ की। उन्होंने कहा कि सरकार ने हाल ही में एचआईवी से लड़ने के लिए 10 मिलियन फिजी डॉलर का बजट रखा है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दर्शाता है कि सरकार लोगों की सेहत और सम्मान की रक्षा के प्रति गंभीर है।
उन्होंने कहा कि कई लोग पहले देसी उपचार अपनाते हैं या इसे नजरअंदाज करते हैं और तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टर के पास जाते हैं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से अपील की कि वे देसी और आधुनिक दवाओं के बीच बेहतर संबंध स्थापित करें, ताकि लोग विश्वास करें और जल्दी से इलाज शुरू कर सकें।