क्या पूर्व आयकर अधिकारी को रिश्वतखोरी के मामले में चार साल की जेल हुई?

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क्या पूर्व आयकर अधिकारी को रिश्वतखोरी के मामले में चार साल की जेल हुई?

सारांश

एक महत्वपूर्ण मामले में, जोधपुर की विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व आयकर अधिकारी शैलेंद्र भंडारी को चार साल की जेल और 27 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। यह फैसला भ्रष्टाचार की गंभीरता को दर्शाता है। जानें इस मामले की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • भ्रष्टाचार पर सख्त कानून लागू हैं।
  • पूर्व अधिकारी को चार साल की सजा मिली।
  • जांच से अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ।
  • भ्रष्टाचार के खिलाफ समाज में जागरूकता बढ़ रही है।
  • सरकारी कर्मचारियों के लिए यह एक चेतावनी है।

जयपुर, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। जोधपुर की विशेष सीबीआई अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में पूर्व आयकर अधिकारी शैलेंद्र भंडारी को चार साल की कैद और 27 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। न्यायाधीश भूपेंद्र कुमार सनाढ्य ने यह फैसला गुरुवार को सुनाया।

जानकारी के अनुसार, भंडारी ने आयकर विभाग में अपने कार्यकाल के दौरान अपनी कुल संपत्ति का 26.46 प्रतिशत अवैध रूप से अर्जित किया।

उनकी ज्ञात आय 61.25 लाख रुपए थी, लेकिन जांच से पता चला कि उनके पास 1.57 करोड़ रुपए की संपत्ति थी, जिसमें से 26.6 लाख रुपए बेहिसाब और अवैध रूप से अर्जित किए गए थे।

न्यायाधीश सनाढ्य ने कहा, "भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में फैल गया है और देश की अर्थव्यवस्था को दीमक की तरह खा रहा है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सख्त प्रावधानों के बावजूद, सरकारी कर्मचारी भ्रष्ट आचरण में लिप्त हैं।"

उन्होंने कहा कि यदि आरोपियों के प्रति नरमी बरती गई तो इससे अन्य भ्रष्ट अधिकारियों को प्रोत्साहन मिलेगा और समाज में गलत संदेश जाएगा।

यह मामला 31 मार्च 2015 का है, जब सीबीआई ने रिश्वतखोरी के एक मामले में भंडारी, तत्कालीन मुख्य आयुक्त पीके शर्मा और एक जौहरी को गिरफ्तार किया था।

जांच में यह सामने आया कि दोनों अधिकारियों ने अपनी ज्ञात आय से कहीं अधिक संपत्ति अर्जित की थी। उनके खिलाफ अलग-अलग मामले दर्ज किए गए।

भंडारी के घर और दफ्तर की सीबीआई की तलाशी में व्यापक दस्तावेज और रिकॉर्ड मिले, जिनसे उनके और उनके परिवार के नाम पर बड़े पैमाने पर संपत्ति जमा होने का संकेत मिला। इन सबूतों के आधार पर, सीबीआई ने 2 मार्च 2016 को इंस्पेक्टर मुकेश बंसल के नेतृत्व में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया।

सीबीआई के वकील भगवान सिंह भंवरिया के अनुसार, भंडारी ने 2 जनवरी 1978 को आयकर विभाग में एलडीसी (लोअर डिवीजन क्लर्क) के पद से अपना करियर शुरू किया था।

वे 2001 से 2009 तक इंस्पेक्टर और 2009 से 2015 तक अपनी गिरफ्तारी तक आयकर अधिकारी के पद पर रहे। 31 मार्च 2015 को एक ज्वेलर से रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने के बाद उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया गया।

1 अप्रैल 2006 से 31 मार्च 2015 के बीच भंडारी और उनके परिवार की कुल आय 1.57 करोड़ रुपए थी, जबकि उनका खर्च 57.09 लाख रुपए दर्ज किया गया।

अदालत ने पाया कि भंडारी ने 26.6 लाख रुपए या अपनी कुल आय का 26.46 फीसदी अवैध रूप से अर्जित किया था, जिसे अवैध रूप से अर्जित संपत्ति घोषित किया गया।

रिश्वतखोरी के एक अन्य मामले में भंडारी को पहले 26 सितंबर 2025 को चार साल की कैद और 1.10 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। वह 2015 से 29 सितंबर 2017 को अपनी सेवानिवृत्ति तक निलंबित रहे।

Point of View

NationPress
09/10/2025

Frequently Asked Questions

भंडारी को कितनी सजा मिली?
भंडारी को चार साल की कैद और 27 लाख रुपये का जुर्माना हुआ।
भंडारी ने कितनी अवैध संपत्ति अर्जित की?
भंडारी ने अपनी कुल आय का 26.46 प्रतिशत अवैध रूप से अर्जित किया।
यह मामला कब का है?
यह मामला 31 मार्च 2015 का है।
भंडारी के खिलाफ किसने जांच की?
सीबीआई ने भंडारी और अन्य के खिलाफ जांच की।
भंडारी का करियर कब शुरू हुआ था?
भंडारी का करियर 2 जनवरी 1978 को आयकर विभाग में शुरू हुआ था।