क्या एआई चश्मा दृष्टिबाधित लोगों की मदद कर सकता है? गांधीनगर में छात्र ने कहा- दैनिक कार्य होंगे आसान

सारांश
Key Takeaways
- दृष्टिबाधित छात्रों के लिए एआई चश्मे एक महत्वपूर्ण तकनीक हैं।
- इन चश्मों की मदद से दैनिक कार्यों में सहायता मिलती है।
- अमित शाह का यह कदम समाज में सकारात्मक बदलाव लाएगा।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग कर दृष्टिबाधित लोगों को समान अवसर प्रदान करना आवश्यक है।
- दिव्यांगजनों के लिए नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए कार्यों का महत्व।
गांधीनगर,14 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के गांधीनगर में रविवार को आयोजित पांचवें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण पहल की। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने दृष्टिबाधित छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित विशेष चश्मे प्रदान किए।
एआई-आधारित चश्मे दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए वस्तुओं की पहचान, नेविगेशन और दैनिक कार्यों में मदद के लिए अत्याधुनिक तकनीकी उपकरण हैं।
12वीं कक्षा के छात्र जेनिल पारेख ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में अपनी खुशी और उत्साह व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि ये एआई चश्मे दृष्टिबाधित छात्रों के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकते हैं। इन चश्मों में एक कैमरा लगा होता है, जो टेक्स्ट को स्कैन करता है, इमेज कैप्चर करता है और फिर माइक्रोफोन या मोबाइल डिवाइस के माध्यम से उसे पढ़कर सुनाता है। इससे पढ़ाई में सुधार, ज्ञान अर्जन और दैनिक कार्यों में मदद मिलती है। जेनिल ने कहा कि ये चश्मे एक नहीं, बल्कि कई लाभ प्रदान करते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में एआई चश्मे को दृष्टिबाधित व्यक्तियों के जीवन में रोशनी लाने वाला बताया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिव्यांगजनों के लिए बहुत कार्य किए हैं। 'दिव्यांग' नाम देना ही उनके लिए सम्मान है। भगवान ने हमारे दिव्यांग भाई-बहनों को अपार ताकत दी है, और इस ताकत का उपयोग करने के लिए विज्ञान और तकनीक का सहारा लेना चाहिए। उन्होंने एआई चश्मे की विशेषताओं पर जोर देते हुए बताया कि यह चश्मा दृष्टिबाधित व्यक्तियों को कागज पर लिखा हुआ टेक्स्ट पढ़ने में सक्षम बनाता है, जो उनके कानों में उनकी मातृभाषा में सुनाई देता है। यह सुविधा उनकी पढ़ाई और दैनिक जीवन को आसान बनाएगी।
शाह ने बताया कि इस अवसर पर पांच दृष्टिबाधित व्यक्तियों को यह चश्मा प्रदान किया गया, जिन्हें उन्होंने अपनी ओर से शुभकामनाएं दी। उन्होंने देशभर की स्वयंसेवी संस्थाओं से अपील की कि वे इस तरह की पहल में सहयोग करें, ताकि दृष्टिबाधित लोग पढ़ने-लिखने में माहिर हो सकें और अपने जीवन को बेहतर बना सकें।