क्या गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण दिसंबर तक पूरा होगा? मुख्यमंत्री ने दिए गति बढ़ाने के निर्देश
सारांश
Key Takeaways
- गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण दिसम्बर तक पूरा करने का लक्ष्य।
- मुख्यमंत्री ने साप्ताहिक समीक्षा का निर्देश दिया।
- नए लिंक एक्सप्रेसवे की योजना पर चर्चा।
- डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के नोड्स में स्किल डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना।
- भूमि आवंटन नीति की पारदर्शिता।
लखनऊ, २९ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को उत्तर प्रदेश इंडस्ट्रियल एक्सप्रेसवे डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में कहा कि गंगा एक्सप्रेसवे केवल सड़कों का जाल नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था और औद्योगिक भविष्य की रीढ़ हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य दिसम्बर तक हर हाल में पूरा कराने के लक्ष्य के साथ तेज गति से आगे बढ़ाया जाए, ताकि राज्य के पश्चिमी और पूर्वी अंचलों के बीच सहज कनेक्टिविटी स्थापित हो सके।
सीएम योगी ने कहा कि प्रत्येक परियोजना की प्रगति की साप्ताहिक समीक्षा हो और कार्य की गुणवत्ता पर किसी प्रकार का समझौता न हो। बैठक में गंगा एक्सप्रेसवे के विस्तार स्वरूप प्रस्तावित मेरठ-हरिद्वार लिंक एक्सप्रेसवे, नोएडा-जेवर लिंक एक्सप्रेसवे, चित्रकूट-रीवा लिंक एक्सप्रेसवे तथा प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली और सोनभद्र तक प्रस्तावित विंध्य एक्सप्रेसवे व विंध्य-पूर्वांचल लिंक एक्सप्रेसवे के रूट पर विस्तृत चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन नए एक्सप्रेसवे की योजना बनाते समय भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा प्रस्तावित एक्सप्रेसवे और हाइवे नेटवर्क का पूरा ध्यान रखा जाए, ताकि दोहराव से बचते हुए राज्य में एकीकृत और समन्वित सड़क तंत्र विकसित हो सके।
उन्होंने डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से जुड़े सभी नोड्स (लखनऊ, कानपुर, झांसी, आगरा, अलीगढ़ और चित्रकूट) में स्किल डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन केंद्रों के माध्यम से स्थानीय युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर रक्षा उद्योग से जोड़ना चाहिए, जिससे रोजगार सृजन के साथ ही क्षेत्रीय आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।
बैठक में बताया गया कि डिफेंस कॉरिडोर के लिए अब तक लगभग 30,819 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं। 5039 एकड़ भूमि अधिग्रहीत की जा चुकी है। विभिन्न कंपनियों द्वारा कार्य प्रारंभ भी किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने भूमि आवंटन नीति पर विशेष बल देते हुए कहा कि भूमि आवंटन के तीन वर्ष के भीतर यदि निवेशक द्वारा यथोचित उपयोग नहीं किया जाता है तो ऐसा आवंटन स्वतः निरस्त किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि भूमि उपयोग की निगरानी की पारदर्शी व्यवस्था बनाई जाए और निवेशक को केवल वास्तविक प्रगति की स्थिति में ही आगे की सुविधाएं दी जाएं।
बैठक में यह भी बताया गया कि एक्सप्रेसवे के किनारे विकसित हो रहे औद्योगिक क्लस्टर और लॉजिस्टिक पार्कों में निवेश आकर्षित करने के लिए यूपीडा ने बिजली, जलापूर्ति, ट्रक टर्मिनल और हेल्थ-इमरजेंसी सुविधाओं की व्यवस्था हेतु समयबद्ध योजना बनाई है।