क्या गाजा युद्ध पीड़ितों के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाला गिरोह बेनकाब हो गया?

सारांश
Key Takeaways
- गाजा युद्ध पीड़ितों के नाम पर धोखाधड़ी का मामला।
- सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर पैसे इकट्ठा किए गए।
- तीन आरोपी गिरफ्तार, फोरेंसिक जांच जारी।
- देशवासियों को सतर्क रहने की आवश्यकता।
- मानवीय संवेदनाओं का दुरुपयोग एक गंभीर समस्या।
लखनऊ, 22 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश एटीएस (एटीएस) ने गाजा युद्ध पीड़ितों के समर्थन के नाम पर सोशल मीडिया के माध्यम से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने वाले एक अंतरराज्यीय रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस फर्जीवाड़े में शामिल तीन आरोपियों को महाराष्ट्र के भिवंडी से गिरफ्तार किया गया है।
यह गिरफ्तारी तब हुई है जब गाजा संकट पर देश-विदेश में संवेदनशीलता बनी हुई है, और आरोपी इसी भावना का दुरुपयोग कर लोगों से झूठे मदद के नाम पर पैसे मांग रहे थे।
एटीएस को खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ लोग गाजा युद्ध पीड़ितों (विशेषकर बच्चों और महिलाओं) की सहायता के लिए सोशल मीडिया जैसे इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप ग्रुप पर भावुक अपील कर रहे हैं। ये लोग वीडियो और भावुक संदेशों के माध्यम से लोगों को धोखा देकर यूपीआई आईडी और बैंक खातों के जरिए धन जुटा रहे थे।
इस क्राउड फंडिंग अभियान से इकट्ठा की गई करोड़ों रुपये की राशि वास्तव में पीड़ितों तक नहीं पहुंच रही थी, बल्कि आरोपी उस धन का उपयोग अपनी अवैध गतिविधियों में कर रहे थे।
यूपी एटीएस ने जिन तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनमें मोहम्मद अयान, जैद नोटियार, और अबू सूफियान शामिल हैं।
इन तीनों आरोपियों ने मिलकर सोशल मीडिया पर एक फर्जी चैरिटी अभियान चलाया और यूपी समेत देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों रुपये की रकम अपने निजी खातों में ट्रांसफर करवाई।
एटीएस ने इन आरोपियों के पास से तीन मोबाइल फोन बरामद किए हैं, जिनकी फोरेंसिक जांच की जाएगी। बताया जा रहा है कि इनके खातों में करोड़ों रुपये का चंदा आया है। इस धन का उपयोग किन गतिविधियों में हुआ? क्या इसका कोई देशविरोधी उद्देश्य था? इस दिशा में जांच की जा रही है।
तीनों आरोपियों को 20 सितंबर को गैर-जमानती वारंट के तहत गिरफ्तार कर सीबीआई कोर्ट मुंबई में पेश किया गया। अब इन्हें ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ लाकर पूछताछ की जाएगी और कोर्ट से पुलिस कस्टडी की मांग की जाएगी।