क्या गीतिका जाखड़ पहली महिला पहलवान हैं, जिन्हें 'अर्जुन अवॉर्ड' मिला?

सारांश
Key Takeaways
- गीतिका जाखड़ ने 15 वर्ष की आयु में 'भारत केसरी' का खिताब जीता।
- उन्होंने कुश्ती में कई पदक जीते हैं।
- 2006 में उन्हें 'अर्जुन अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया।
- उन्हें अपने दादा से कुश्ती की शिक्षा मिली।
- उन्होंने कई बार चोटों के बावजूद शानदार वापसी की।
नई दिल्ली, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। गीतिका जाखड़ को भारतीय महिला कुश्ती की शीर्ष खिलाड़ियों में माना जाता है। हरियाणा की रहने वाली गीतिका ने एशियाई खेलों और कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में देश को कई पदक दिलाए हैं।
18 अगस्त 1985 को हिसार में जन्मी गीतिका को कुश्ती की विरासत मिली। उन्होंने अपने दादा चौधरी अमरचंद जाखड़ से कुश्ती के गुर सीखे, जो अपने समय के प्रसिद्ध पहलवान थे।
गीतिका ने एथलेटिक्स से अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन जब उन्होंने लड़कियों को कुश्ती करते देखा, तो उन्होंने रेसलर बनने की ठानी।
उन्होंने मात्र 13 वर्ष की उम्र में कुश्ती खेलना शुरू किया। और महज 15 वर्ष की उम्र में वह 'भारत केसरी' का खिताब जीत चुकी थीं। इसके बाद लगातार 9 वर्षों तक उन्होंने इस खिताब पर कब्जा रखा।
गीतिका ने 2003 और 2005 में कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीते। फिर 2007 में उन्होंने सिल्वर मेडल भी जीता।
2006 के एशियाई खेलों में सिल्वर जीतने के बाद उन्होंने 2014 में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। 2007 में नेशनल गेम्स और सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के कारण उन्हें 2009 में 'कल्पना चावला उत्कृष्टता पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया था।
2010 में गंभीर चोट लगने के बाद ऐसा लगा कि उनका करियर खत्म हो जाएगा, लेकिन भारत की शेरनी हार मानने को तैयार नहीं थी।
उन्होंने 2011 में नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर सबसे युवा महिला पहलवान बनने का रिकॉर्ड बनाया।
2014 के ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने के बाद उसी वर्ष उन्होंने इंचियोन एशियाई खेलों में ब्रॉन्ज मेडल भी जीता।
कुश्ती में उनकी अद्वितीय उपलब्धियों के लिए गीतिका को 2006 में 'अर्जुन अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया था। उनकी मेहनत और संघर्ष ने महिला पहलवानों के लिए नए रास्ते खोले हैं।