क्या जर्मन सांसद ने संसद में नाजी सैल्यूट किया? तीन साल की जेल हो सकती है!
सारांश
Key Takeaways
- जर्मनी में नाजी सैल्यूट करना गंभीर अपराध है।
- सांसद की गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई है।
- जर्मनी में दक्षिणपंथी उभार पर चिंता जताई जा रही है।
- यह घटना लोकतंत्र की गरिमा पर सवाल उठाती है।
- सांसद ने आरोपों का खंडन किया है।
बर्लिन, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जर्मनी की राजधानी बर्लिन के बुंडेस्टाग (रैखस्टाग भवन) में एक विवादास्पद घटना सामने आई है, जिसमें अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड (एएफडी) पार्टी के 60 वर्षीय सांसद पर नाजी सैल्यूट करने का आरोप लगा है।
बर्लिन राज्य प्रॉसिक्यूटर ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है, जिससे सांसद की गिरफ्तारी या मुकदमे की संभावना बढ़ गई है। आरोप है कि जून 2023 में सांसद ने बुंडेस्टाग के गार्डरोब क्षेत्र में एक पार्टी सहयोगी का हिटलर सैल्यूट (जिसे नाजी सैल्यूट भी कहा जाता है) से अभिवादन किया था।
जर्मनी में ये अभिवादन अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसा सलाम करना गैर-कानूनी है और इसके लिए तीन साल तक जेल की सजा हो सकती है।
अभियोजकों ने एक बयान में कहा कि आरोपी ने कथित तौर पर जून 2023 में "रीचस्टैग बिल्डिंग के पूर्वी गेट पर एक पार्टी सहयोगी को एड़ी टकराकर और हिटलर को सलाम करके अभिवादन किया था।" अक्टूबर 2025 में बुंडेस्टाग ने सांसद की इम्यूनिटी (संसदीय छूट) हटा दी थी, जिसके बाद जांच आगे बढ़ सकी।
जर्मनी में नाजी प्रतीकों का सार्वजनिक उपयोग सख्ती से प्रतिबंधित है, और दोषी पाए जाने पर जुर्माना या जेल हो सकती है।
बिल्ड अखबार ने उस सांसद का नाम मैथियास मूसडॉर्फ (60) बताया है, जो पूर्व पूर्वी जर्मन राज्य सैक्सनी के ज्विकाउ शहर से संसद सदस्य हैं।
सोमवार को सांसद ने एक्स प्लेटफॉर्म पर दावा किया कि उन्होंने ऐसा नहीं किया था। मूसडॉर्फ ने अपने विरोधी पर इस मामले को जबरन तूल देने का आरोप भी लगाया। उन्होंने लिखा कि पिछले हफ्ते आरोप पत्र के साथ जांच भी मुझे सौंप दी गई थी। लगभग 200 पेज की फाइल में, सिर्फ एक ही व्यक्ति है जिसने यह बेतुका आरोप लगाया है।
मूसडॉर्फ 2016 से एएफडी के सदस्य हैं और हाल तक पार्टी के संसदीय समूह के विदेश नीति प्रवक्ता थे।
यह घटना जर्मनी में बढ़ते दक्षिणपंथी उभार और एएफडी पार्टी से जुड़े विवादों के बीच आई है। पार्टी पहले भी नाजी-समर्थक बयानों और प्रतीकों के आरोपों में घिरी रही है। बुंडेस्टाग में ऐसी हरकत लोकतंत्र की गरिमा पर सवाल उठाती है, और विपक्षी दलों ने इसकी कड़ी निंदा की है। मामला अब अदालत में है, जहां आगे की कार्यवाही तय करेगी कि सांसद को सजा होगी या नहीं।