क्या झारखंड के घाटशिला उपचुनाव में एनडीए की एकजुटता जीत दिलाएगी?

सारांश
Key Takeaways
- एनडीए का एकजुट होना चुनावी रणनीति में महत्वपूर्ण है।
- हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ असंतोष का माहौल है।
- गठबंधन की रैलियाँ आयोजित की जाएंगी।
- सभी समुदायों का एनडीए को समर्थन मिलने की संभावना है।
- बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत बनाने पर ध्यान दिया जाएगा।
रांची, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए एनडीए के सहयोगी दलों ने एकजुटता का प्रदर्शन किया है।
मंगलवार को रांची में स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में गठबंधन की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें आगामी उपचुनाव की रणनीति पर गहराई से चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने की। इसमें भाजपा, आजसू, जदयू और लोजपा समेत एनडीए के प्रमुख दलों के नेता शामिल हुए।
इस बैठक में राज्यसभा सांसद और भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष आदित्य साहू, आजसू के प्रमुख सुदेश महतो, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो, लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र प्रधान और विधायक जनार्दन पासवान भी मौजूद रहे। सभी नेताओं ने यह संकल्प लिया कि घाटशिला उपचुनाव में एनडीए के उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए वे एक साथ मिलकर अभियान चलाएंगे।
मरांडी ने कहा कि यह उपचुनाव भले ही एक सीट का हो, लेकिन इसका संदेश पूरे झारखंड में फैल जाएगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से हर बूथ पर मजबूत प्रयास करने का आह्वान किया, यह बताते हुए कि हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ जनता में गहरा असंतोष है। राज्य में पिछले छह वर्षों से लूट, भ्रष्टाचार और कुशासन का माहौल बना हुआ है। जनता अब बदलाव की खोज में है और एनडीए को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।
आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने कहा कि घाटशिला क्षेत्र में कुड़मी और आदिवासी समुदाय के बीच उत्पन्न मतभेद चुनावी समीकरणों को प्रभावित नहीं करेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि सभी समुदाय इस बार विकास और सुशासन के पक्ष में एनडीए का समर्थन करेंगे।
जदयू के अध्यक्ष खीरू महतो और लोजपा के नेता वीरेंद्र प्रधान ने भी कहा कि गठबंधन दल एकजुट होकर जनता के बीच जाकर राज्य सरकार की नाकामियों को उजागर करेंगे। बैठक में संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत बनाने, जनसंपर्क अभियान चलाने और प्रचार रणनीति तय करने पर सहमति बनी। यह भी निर्णय लिया गया कि एनडीए की साझा रैलियां आयोजित की जाएंगी, जिसमें केंद्रीय नेताओं की भी भागीदारी होगी, ताकि गठबंधन का संदेश हर मतदाता तक पहुंच सके।