क्या सीएम योगी ने महानिशा पूजन कर लोकमंगल की प्रार्थना की?

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क्या सीएम योगी ने महानिशा पूजन कर लोकमंगल की प्रार्थना की?

सारांश

गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर महानिशा पूजन का आयोजन किया। इस अनुष्ठान में विभिन्न प्रकार के पूजन और हवन किए गए, जिसमें लोकमंगल की प्रार्थना का विशेष ध्यान रखा गया। जानिए इस पूजा की खासियत और इसके महत्व के बारे में।

Key Takeaways

  • महानिशा पूजन का आयोजन 29 सितंबर को हुआ।
  • मुख्यमंत्री ने लोकमंगल की प्रार्थना की।
  • इस अनुष्ठान में कई देवताओं का पूजन किया गया।
  • यह पूजा गोरखनाथ मंदिर में संपन्न हुई।
  • कन्या पूजन का अनुष्ठान 1 अक्टूबर को होगा।

गोरखपुर, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। गोरक्षपीठाधीश्वर एवं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी तिथि के अवसर पर गोरक्षपीठ की परंपरा के अनुसार विधिविधान से महानिशा पूजन और हवन किया।

महानिशा पूजन अनुष्ठान से पूर्व उन्होंने वैदिक मंत्रों के बीच जगतजननी मां आदिशक्ति की आराधना की। शारदीय नवरात्र के इस पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर के शक्तिपीठ में महानिशा पूजा का विशिष्ट अनुष्ठान संपन्न कर लोकमंगल की प्रार्थना की। सोमवार दोपहर बाद लखनऊ से गोरखपुर आए मुख्यमंत्री ने कुसम्ही जंगल में बुढ़िया माई मंदिर में दर्शन पूजन किया।

इसके बाद वे गोरखनाथ मंदिर पहुंचे। मंदिर में गुरु गोरखनाथ का दर्शन पूजन करने के बाद अपने गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की समाधिस्थल पर जाकर शीश नवाया। देर शाम वे महानिशा पूजा में सम्मिलित हुए। गोरखनाथ मंदिर के शक्तिपीठ में यह अनुष्ठान गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ।

दो घंटे से अधिक चले इस अनुष्ठान में गोरक्षपीठाधीश्वर ने गौरी गणेश पूजन, वरुण पूजन, पीठ पूजन, यंत्र पूजन, मां दुर्गा का विधिवत् पूजन, भगवान राम-लक्ष्मण-सीता का षोडशोपचार पूजन, भगवान कृष्ण एवं गोमाता का पूजन, नवग्रह पूजन, विल्व पूजन, अधिष्ठात्री देवता पूजन, शस्त्र पूजन, द्वादश ज्योर्तिलिंग-आधनारीश्वर एवं शिव-शक्ति पूजन, वटुक भैरव, काल भैरव और त्रिशूल पर्वत पूजन किया।

साथ ही हवन की वेदी पर ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र और अग्नि देवता का आह्वान कर पूजन किया और शक्तिपीठ में स्थापित वेदी पर उगे जौ के पौधों को काटकर आदिशक्ति मां दुर्गा से लोकमंगल की प्रार्थना की। यह अनुष्ठान गोरक्षपीठाधीश्वर द्वारा हवन करके पूर्ण किया गया। समस्त अनुष्ठान श्रीदुर्गा सप्तसती के पाठ एवं वैदिक मंत्रों के साथ संपन्न हुआ। अंत में आरती एवं क्षमा याचना के बाद प्रसाद वितरित किया गया।

इस अवसर पर काशी से आए जगद्गुरु स्वामी संतोषाचार्य उर्फ सतुआ बाबा और गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ समेत बड़ी संख्या में गोरखनाथ मंदिर के भक्त उपस्थित रहे। गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर स्थित अपने आवास के शक्तिपीठ में बुधवार (1 अक्टूबर) को पूर्वाह्न शारदीय नवरात्र की महानवमी तिथि को देवी दुर्गा के नौवें रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करेंगे। उसके बाद कन्या पूजन का अनुष्ठान होगा।

इस अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर कुंवारी कन्याओं के पांव पखारकर श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करेंगे। उन्हें भोजन कराएंगे और दक्षिणा, उपहार देंगे। इस दौरान परंपरा के अनुसार बटुक पूजन भी किया जाएगा। जबकि विजयदशमी के पावन पर्व पर 2 अक्टूबर, गुरुवार सुबह गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिवावतार गुरु गोरखनाथ का विशिष्ट पूजन करेंगे। इसी दिन सायंकाल वे गोरखनाथ मंदिर से निकलने वाली पारंपरिक विजयदशमी शोभायात्रा की अगुवाई करेंगे। शोभायात्रा का समापन मानसरोवर रामलीला मैदान में होगा जहां गोरक्षपीठाधीश्वर प्रभु श्रीराम का पूजन व राज्याभिषेक करेंगे।

Point of View

बल्कि सामाजिक एकता और लोककल्याण की भावना को भी बढ़ावा देता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस प्रकार का सक्रिय योगदान दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति में धार्मिक अनुष्ठान कैसे सामुदायिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं।
NationPress
29/09/2025

Frequently Asked Questions

महानिशा पूजन का आयोजन कब किया गया?
महानिशा पूजन का आयोजन 29 सितंबर को शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर किया गया।
इस पूजा में किन-किन देवताओं का पूजन किया गया?
इस पूजा में गौरी गणेश, वरुण, मां दुर्गा, भगवान राम-लक्ष्मण-सीता, भगवान कृष्ण और अन्य देवताओं का पूजन किया गया।
महानिशा पूजा का उद्देश्य क्या है?
महानिशा पूजा का उद्देश्य लोकमंगल की प्रार्थना करना और समाज में शांति एवं समृद्धि लाना है।