क्या गोरखपुर के संत समाज ने नेपाल के बिगड़े हालात पर चिंता जताई और हिंदू राष्ट्र की मांग की?

सारांश
Key Takeaways
- नेपाल में हिंसा के कारणों की गंभीरता
- संत समाज की हिंदू राष्ट्र की मांग
- नेपाल और भारत के बीच सांस्कृतिक समानता
- राजनीतिक स्थिति का प्रभाव
- आरएसएस की भूमिका और योगदान
गोरखपुर, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित प्रतिष्ठित गोरखनाथ मंदिर में आए साधु संतों ने हाल ही में नेपाल में भड़के हिंसक आंदोलनों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने नेपाल को पुनः हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग की है।
नेपाल में सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ युवाओं के द्वारा शुरू किए गए प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है, जिसमें 30 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है।
हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास महाराज ने मंदिर परिसर में आयोजित सभा में कहा कि नेपाल की मौजूदा स्थिति अत्यंत दर्दनाक है। उन्होंने पड़ोसी देशों के उदाहरण पेश करते हुए चेतावनी दी, "हर जगह देखें, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, और बांग्लादेश की स्थिति क्या हो गई है। अब नेपाल में भी ऐसे तत्व सक्रिय हो गए हैं जो सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं, नेताओं पर हमले कर रहे हैं और निजी संपत्ति को लूट रहे हैं।"
राजू दास ने स्पष्ट रूप से मांग की कि नेपाल को पुनः हिंदू राष्ट्र बनाया जाए। उनका तर्क था कि नेपाल और भारत दोनों ही हिंदू बहुल देश हैं। भारत हिंदू राष्ट्र के रूप में दुनिया की नजरों में है। नेपाल को भी इसी दिशा में लाने की आवश्यकता है ताकि स्थिरता आ सके।
राजू दास ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खुलकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "देश की निगाहें पीएम मोदी और सीएम योगी पर हैं। ये दोनों महापुरुष सनातन धर्म की स्थापना और संस्कृति की रक्षा कर रहे हैं। एक समय उत्तर प्रदेश अपराधिक प्रदेश कहलाता था, आज यह उत्तम प्रदेश बन गया है। यहाँ गुरुकुलों की स्थापना हो रही है, एम्स जैसे संस्थान विकसित हो रहे हैं। गरीबों को गले लगाया जा रहा है, अपराधी कठघरे में खड़े हो रहे हैं। योगी महाराज ने पूरे विश्व में शांति और समन्वय स्थापित किया है।"
उन्होंने योगी आदित्यनाथ को साधुवाद देते हुए कहा कि नेपाल की स्थिति पर वे चिंतित हैं। पीएम मोदी ने भी शांति का आह्वान किया है।
राजू दास ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यह संगठन निष्काम भाव से भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं को दिशा दे रहा है। आरएसएस ने सबको गले लगाया है, विश्व बंधुत्व की विचारधारा को आगे बढ़ाया है। सीरिया, ईरान, इराक, और लेबनान जैसी अस्थिरता भारत में नहीं है, क्योंकि यहाँ सभी मत-पंथ शांतिपूर्वक रहते हैं। यह आरएसएस की देन है। मोदी जी और योगी जी आरएसएस के छोटे कार्यकर्ता हैं, जिनकी मानसिकता सबको समाहित करने वाली है।
उन्होंने पीएम मोदी को नोबेल पुरस्कार देने की मांग की और कहा, "आने वाले दिनों में सीएम योगी को भारत का प्रधानमंत्री बनना चाहिए। वे निष्काम भाव से मानवता और संस्कृति की रक्षा कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश से ही शांति की किरण फैल रही है।
गोरखनाथ मंदिर में जूनागढ़ (राजस्थान) से आए पीर शेरनाथ महाराज ने भी नेपाल के हालात पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, "हिंदू समाज और संस्कृति सदैव प्रज्वलित रहेगी। इसे विभेदित करने की कोई कोशिश सफल नहीं हो सकती। आज कई विकृत संस्कृतियां वातावरण को बिगाड़ रही हैं, लेकिन हम संतों के मार्गदर्शन से आगे बढ़ेंगे। हिम्मत नहीं हारेंगे।"
शेरनाथ ने आरएसएस की निष्ठा की भी सराहना करते हुए कहा कि यह संगठन संस्कृति को मजबूती से आगे बढ़ा रहा है।