क्या ग्रेनो में एसटीपी से ट्रीटेड वाटर को और अधिक स्वच्छ बनाया जा रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- ग्रेटर नोएडा में एसटीपी की तकनीकी उन्नति की जाएगी।
- आईआईटी दिल्ली द्वारा डीपीआर तैयार की जा रही है।
- पानी की फीकल मात्रा को 100 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम किया जाएगा।
- रिसाइकिल किया गया पानी औद्योगिक उपयोग के लिए उपयुक्त होगा।
- जल प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।
ग्रेटर नोएडा, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ग्रेटर नोएडा में स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से रिसाइकिल किया गया पानी और अधिक स्वच्छ बनाने की योजना बनाई जा रही है। सभी एसटीपी की तकनीकी उन्नति की जाएगी।
एक अतिरिक्त फिल्टर एसटीपी पर लगाया जाएगा, जिससे ट्रीटेड वाटर को स्वच्छ जल के मानकों के अनुरूप बनाया जाएगा। नोएडा के सेक्टर-54 में पहले से ही इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
वर्तमान में ग्रेटर नोएडा में कुल चार एसटीपी हैं। इनमें बादलपुर का एसटीपी २ एमएलडी, कासना का १३७ एमएलडी, ईकोटेक-२ का १५ एमएलडी और ईकोटेक-३ का २० एमएलडी है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने एसटीपी से रिसाइकिल किए गए पानी की स्वच्छता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। वर्तमान में, इस पानी में फीकल की मात्रा लगभग २३० मिलीग्राम प्रति लीटर है। एनजीटी ने इसे १०० मिलीग्राम से कम करने के लिए कहा है। इसमें टीडीएस और बीओडी-सीओडी की मात्रा भी उतनी ही कम हो जाएगी, जितनी कि पेयजल में होती है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने एनजीटी के निर्देशों के अनुसार सीवर विभाग को इस तकनीक को जल्दी अपनाने के लिए कहा है। आईआईटी दिल्ली इस तकनीक के लिए डीपीआर तैयार करवा रहा है। इस प्रक्रिया में एसटीपी पर एक अतिरिक्त फिल्टर लगाया जाएगा, जिससे पानी में फीकल की मात्रा १०० मिलीग्राम प्रति लीटर के आसपास हो जाएगी।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, प्रति एमएलडी लागत लगभग २० लाख रुपए अनुमानित की गई है। तकनीकी उन्नति के बाद, एसटीपी ट्रेसरी ट्रीटमेंट प्लांट में तब्दील हो जाएंगे, जिससे त्रिस्तरीय शोधन प्रणाली लागू होगी। इससे रिसाइकिल किया गया पानी औद्योगिक उपयोगों के लिए भी उपयुक्त हो सकेगा। साथ ही, जल प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। डीपीआर अगले सप्ताह मिलने की उम्मीद है, जिसके आधार पर उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
एसीईओ प्रेरणा सिंह ने कहा, "सभी एसटीपी को तकनीकी रूप से उन्नत करने की योजना है। आईआईटी दिल्ली से डीपीआर तैयार करवाई जा रही है। प्राधिकरण की कोशिश है कि रिसाइकिल किया गया पानी स्वच्छ हो सके और इसका उपयोग औद्योगिक उत्पादन में किया जा सके।"
प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, एसटीपी की क्षमता बादलपुर में २ एमएलडी, कासना में १३७ एमएलडी, ईकोटेक-२ में १५ एमएलडी और ईकोटेक-३ में २० एमएलडी होगी।