क्या जीएसटी में किए गए सुधार से जनता को राहत और अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती?

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी में सुधार से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
- गरीब और मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी।
- प्रधानमंत्री मोदी ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
- राज्यों को मिलने वाले संसाधन कम हो रहे हैं।
- कृषि उपकरणों पर जीएसटी कम करने की मांग की जा रही है।
नई दिल्ली, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जीएसटी में किए गए सुधार का गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जीएसटी के स्तरों में किए गए बदलाव से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
मंत्री ऋषिकेश पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज भारत की जनता जीएसटी सुधार के कारण बेहद खुश है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि दीपावली के दौरान जनता को बड़ी राहत मिलने वाली है। इसी क्रम में जीएसटी काउंसिल ने बड़े सुधार किए हैं। इससे MSME सेक्टर, स्वास्थ्य क्षेत्र, फार्मा सेक्टर जैसे क्षेत्रों को लाभ होगा। जीएसटी में किए गए बदलाव से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। यह गरीब और मध्यवर्गीय जनता के लिए राहत देने वाला होगा।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं और किसी के दबाव में नहीं आए। आयकर और कृषि क्षेत्र में राहत के साथ-साथ स्वास्थ्य दवाओं की जीएसटी स्तर में छूट भी दी गई है। सभी राज्यों का समर्थन इन सुधारों के लिए महत्वपूर्ण है।
ऋषिकेश पटेल ने सूरत में कपड़ा उद्योगों को राहत न मिलने के सवाल पर कहा कि जीएसटी परिषद सभी प्रस्तावों पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि जब भी सुधार किए जाते हैं, सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है। पटेल ने प्रधानमंत्री मोदी और एनडीए सरकार को जीएसटी में सुधार के लिए बधाई दी और कांग्रेस पर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी का आरोप लगाया।
वहीं, जीएसटी सुधारों पर एनसीपी (एसपी) विधायक रोहित पवार ने कहा कि हम लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि किसानों पर लगाए जा रहे अतिरिक्त कर जैसे कृषि उपकरणों पर कर को कम किया जाना चाहिए। इसी प्रकार, जीएसटी के माध्यम से गरीबों और मध्यवर्ग से वसूले जाने वाले कर को भी कम किया जाना चाहिए। यह मांग वर्षों से की जा रही थी और इसके लिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी हुए थे, इसलिए इसे हासिल करना एक सफलता है। इसका दूसरा पहलू है कि केंद्र सरकार के पास जीएसटी के जरिए पैसा आता है और राज्यों को मिलने वाला पैसा कम हो गया है। इसकी भरपाई केंद्र सरकार को राज्यों को करनी पड़ेगी। आने वाले समय में राज्यों के संसाधन कम हो जाएंगे। ऐसे में केंद्र सरकार राज्यों के साथ मनमर्जी करेगी।