क्या गुजरात में रिश्वतखोरी के मामले में सीबीआई कोर्ट ने डीआरटी इंस्पेक्टर और वकील को दो साल की सजा सुनाई?

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क्या गुजरात में रिश्वतखोरी के मामले में सीबीआई कोर्ट ने डीआरटी इंस्पेक्टर और वकील को दो साल की सजा सुनाई?

सारांश

अहमदाबाद की सीबीआई विशेष अदालत ने रिश्वतखोरी के एक पुराने मामले में दो आरोपियों को सजा सुनाई है। यह मामला 2009 का है और इसमें डीआरटी के इंस्पेक्टर और वकील शामिल हैं। सीबीआई की कार्रवाई ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती को दर्शाया है।

Key Takeaways

  • सीबीआई ने रिश्वतखोरी के मामले में सख्त कार्रवाई की है।
  • दो आरोपियों को 2009 के मामले में सजा सुनाई गई।
  • भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई समझौता नहीं होगा।
  • यह कार्रवाई सरकारी अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है।
  • सीबीआई की जांच ने भ्रष्टाचार को उजागर किया है।

अहमदाबाद, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अहमदाबाद की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) विशेष अदालत ने रिश्वतखोरी के एक पुराने मामले में दो दोषियों को सजा सुनाई है।

अदालत ने अनिल कुमार शर्मा (तत्कालीन रिकवरी इंस्पेक्टर, डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल - डीआरटी, आश्रम रोड) और अमित कोटक (डीआरटी के वकील) को दो साल की सख्त कैद और कुल 1.5 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।

यह मामला साल 2009 का है। सीबीआई ने 15 जनवरी 2009 को शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि अनिल कुमार शर्मा और अमित कोटक ने तीन संपत्तियों की नीलामी का मामला जल्दी निपटाने और शिकायतकर्ता के चचेरे भाई की पहले से नीलाम हो चुकी संपत्ति की नीलामी को टालने के लिए 3.50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी।

अनिल कुमार शर्मा ने पहले 1 लाख रुपये देने को कहा और बाकी 2.50 लाख बाद में देने का वादा किया। सीबीआई ने जाल बिछाया और 16 जनवरी 2009 को अमित कोटक को शिकायतकर्ता से 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। उसी दिन अनिल कुमार शर्मा को भी गिरफ्तार किया गया।

सीबीआई ने दोनों आरोपियों के घर और कार्यालय में तलाशी ली। जांच पूरी होने के बाद 26 नवंबर 2009 को चार्जशीट दाखिल की गई। लंबे ट्रायल के बाद अदालत ने दोनों को दोषी करार दिया और अब सजा सुनाई है।

इससे पहले सीबीआई ने दिल्ली में बड़ी कार्रवाई करते हुए एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) के असिस्टेंट इंजीनियर (एई) को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया। आरोपी असिस्टेंट इंजीनियर दिल्ली के शाहदरा जोन में तैनात था।

यह मामला सरकारी अधिकारियों और वकीलों द्वारा रिश्वत मांगने के खिलाफ सीबीआई की सख्त कार्रवाई का उदाहरण है। जांच एजेंसी ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

Point of View

NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

इस मामले में आरोपियों को कब गिरफ्तार किया गया?
आरोपियों को 16 जनवरी 2009 को गिरफ्तार किया गया।
सीबीआई ने कब चार्जशीट दाखिल की?
सीबीआई ने 26 नवंबर 2009 को चार्जशीट दाखिल की।
इस मामले में कुल कितनी सजा सुनाई गई?
दोनों आरोपियों को दो साल की सजा और 1.5 लाख रुपये का जुर्माना सुनाया गया।
क्या रिश्वतखोरी के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई लगातार जारी है?
हाँ, सीबीआई भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करती रही है।
क्या यह मामला सरकारी अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है?
जी हाँ, यह मामला सरकारी अधिकारियों और वकीलों के लिए एक सख्त चेतावनी है।
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