क्या गुजरात में सरकारी पुस्तकालयों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- गुजरात में सरकारी पुस्तकालयों की संख्या में वृद्धि से पठन-पाठन को बढ़ावा मिलेगा।
- मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में यह योजना आगे बढ़ रही है।
- नेशनल रीड अ बुक डे नागरिकों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करता है।
- आदिवासी क्षेत्रों में पुस्तकालयों की स्थापना से समुदाय को लाभ होगा।
- राज्य में कुल 197 सरकारी पुस्तकालय कार्यरत हैं।
गांधीनगर, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के निवासियों को नियमित पठन-पाठन के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2010 में ‘वांचे गुजरात’ (पढ़े गुजरात) अभियान की शुरुआत की थी। उनकी सरकार के दौरान, उन्होंने गुजरात के सभी पुस्तकालयों को ज्ञान और साहित्य से समृद्ध करने की योजना बनाई थी।
पुस्तक पढ़ने के महत्व को समझते हुए, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अगुवाई में गुजरात सरकार सरकारी पुस्तकालयों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है।
पिछले वर्ष, राज्य के 21 जिलों में 50 तहसीलों और 7 आदिवासी जिलों की 14 तहसीलों में कुल 64 सरकारी पुस्तकालय खोलने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था। इनमें से 53 पुस्तकालय अब कार्यरत हैं और 11 का निर्माण चल रहा है।
वर्तमान में, गुजरात में कुल 197 सरकारी पुस्तकालय कार्यरत हैं और इस वर्ष तहसील स्तर पर 71 नए सरकारी पुस्तकालयों के निर्माण को राज्य सरकार ने मंजूरी दी है। इससे राज्य की सभी तहसीलों में सरकारी पुस्तकालय स्थापित हो जाएंगे।
हर वर्ष 6 सितंबर को ‘नेशनल रीड अ बुक डे’ यानी ‘राष्ट्रीय पुस्तक पढ़ें दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिन सभी को पुस्तक पढ़ने का आनंद लेने के लिए प्रेरित करता है। इसका उद्देश्य लोगों को पठन-पाठन में रुचि लेने और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
राज्य में कुल 197 सरकारी पुस्तकालय हैं, जिनमें 33 जिला पुस्तकालय और 150 तहसील पुस्तकालय शामिल हैं।
राज्य भर में स्थित सरकारी पुस्तकालय नागरिकों को पढ़ाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं। राज्य के मध्यस्थ पुस्तकालयों में प्रतिदिन 500 से अधिक लोग पढ़ाई का लाभ ले रहे हैं, जबकि जिला पुस्तकालयों में यह संख्या 150 से अधिक है।
राज्य के आदिवासी समुदायों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के उद्देश्य से, आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी पुस्तकालय स्थापित किए गए हैं। राज्य के 7 आदिवासी जिलों की 14 तहसीलों में पुस्तकालय खोले गए हैं, जिससे आदिवासी समुदाय भी पढ़ाई की सुविधाओं का लाभ उठा सकें।