क्या मिजोरम में म्यांमार शरणार्थियों का 70 प्रतिशत बायोमेट्रिक पंजीकरण पूरा हुआ?

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क्या मिजोरम में म्यांमार शरणार्थियों का 70 प्रतिशत बायोमेट्रिक पंजीकरण पूरा हुआ?

सारांश

मिजोरम में म्यांमार के शरणार्थियों का बायोमेट्रिक पंजीकरण तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें 70 प्रतिशत से अधिक का पंजीकरण हो चुका है। क्या यह प्रक्रिया सभी जिलों में समान रूप से चल रही है? जानें इस महत्वपूर्ण विषय पर विस्तार से।

Key Takeaways

  • 70 प्रतिशत म्यांमार शरणार्थियों का पंजीकरण पूरा हो चुका है।
  • शरणार्थियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण है।
  • दूरदराज के इलाकों में तकनीकी चुनौतियाँ हैं।
  • बांग्लादेश से भी शरणार्थी मिजोरम में आए हैं।
  • जिला प्रशासन ने अभियान को जारी रखा है।

आइजोल, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मिजोरम में शरणार्थी के रूप में रह रहे म्यांमार के नागरिकों में से लगभग 70 प्रतिशत का अब तक बायोमेट्रिक पंजीकरण पूरा हो चुका है। अधिकारियों के अनुसार, फरवरी 2021 में म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद विभिन्न चरणों में मिजोरम पहुंचे लगभग 30,900 म्यांमार नागरिकों में से 21,330 लोगों का बायोमेट्रिक डेटा दर्ज किया जा चुका है।

राज्य के गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इसी तरह बांग्लादेश से आए 2,375 शरणार्थियों में से लगभग 14 प्रतिशत का भी बायोमेट्रिक पंजीकरण अब तक किया जा चुका है। यह प्रक्रिया केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) के निर्देश पर फॉरेनर्स आइडेंटिफिकेशन पोर्टल और बायोमेट्रिक एनरोलमेंट सिस्टम के माध्यम से की जा रही है।

मिजोरम के 11 जिलों में से सबसे पहले केंद्रीय मिजोरम के सेरछिप जिले ने 30 जुलाई से बायोमेट्रिक पंजीकरण अभियान आरंभ किया था। इसके बाद अन्य 10 जिलों में भी यह प्रक्रिया शुरू हुई।

अधिकारी के अनुसार, आइजोल जिला, जहां 4,160 म्यांमार शरणार्थी रह रहे हैं, और दक्षिण मिजोरम का लुंगलेई जिला, जहां 1,590 शरणार्थी हैं, दोनों में बायोमेट्रिक पंजीकरण 100 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है।

सेरछिप जिले में 97.16 प्रतिशत, पूर्वोत्तर के खावजॉल जिले में 94.19 प्रतिशत और असम से सटे कोलासिब जिले में 91.40 प्रतिशत पंजीकरण पूरा हो चुका है।

म्यांमार सीमा से सटे और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए संवेदनशील माने जाने वाले चंफाई जिले में सबसे अधिक 13,527 म्यांमार शरणार्थी रह रहे हैं, जहां अब तक 63.48 प्रतिशत का पंजीकरण हुआ है। वहीं, म्यांमार और बांग्लादेश दोनों से अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करने वाले लावंगतलाई जिले में 6,017 म्यांमार शरणार्थी हैं, लेकिन यहां केवल 53.20 प्रतिशत बायोमेट्रिक पंजीकरण ही हुआ है।

अधिकारी ने बताया कि दूरदराज के इलाकों में कमजोर इंटरनेट कनेक्टिविटी और तकनीकी समस्याओं के कारण इस इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण प्रक्रिया में कई बाधाएं आई हैं। इसके बावजूद जिला प्रशासन ने अभियान जारी रखा है, हालांकि प्रगति अपेक्षाकृत धीमी है।

म्यांमार शरणार्थियों के अलावा, बांग्लादेश के चिटगांव हिल ट्रैक्ट्स (सीएचटी) क्षेत्र से बाम (बामजो) जनजाति के करीब 2,375 लोग भी पिछले दो वर्षों में मिजोरम आए हैं। ये लोग बांग्लादेश सेना की कार्रवाई के बाद उत्पन्न जातीय तनाव के चलते पलायन कर मिजोरम पहुंचे। इनमें से लगभग 2,000 शरणार्थी लावंगतलाई जिले में रह रहे हैं, जबकि कुछ को लुंगलेई और सेरछिप जिलों में भी शरण दी गई है।

म्यांमार और बांग्लादेश, दोनों देशों से आए शरणार्थियों को मिजोरम के सभी 11 जिलों में बने राहत शिविरों के साथ-साथ रिश्तेदारों के घरों और किराए के मकानों में भी ठहराया गया है। अधिकारी ने बताया कि राहत शिविरों में रह रहे शरणार्थियों का बायोमेट्रिक डेटा लेना आसान है, लेकिन दूर-दराज के गांवों में फैले रिश्तेदारों या किराए के घरों में रह रहे लोगों तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण है।

इस समस्या से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने ग्राम परिषदों और नागरिक संगठनों, विशेष रूप से यंग मिजो एसोसिएशन की मदद ली है।

बायोमेट्रिक पंजीकरण के साथ-साथ शरणार्थियों के नाम, पते, माता-पिता के नाम और म्यांमारमिजोरम में रोजगार से जुड़ी जानकारी भी एकत्र की जा रही है। इस प्रक्रिया से पहले राज्य सरकार ने जिला स्तर के अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया था।

गौरतलब है कि फरवरी 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित बड़ी संख्या में लोग मिजोरम में शरण लेने पहुंचे थे। म्यांमार के चिन राज्य के शरणार्थियों और बांग्लादेश के बाम समुदाय के लोगों का मिजो समुदाय से गहरा जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध है।

म्यांमार का चिन राज्य मिजोरम के कई जिलों से 510 किलोमीटर लंबी बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है, जबकि मिजोरम के कुछ जिले बांग्लादेश के साथ 318 किलोमीटर लंबी बिना बाड़ वाली सीमा से जुड़े हैं। इसके अलावा, मई 2023 में मणिपुर में हुई जातीय हिंसा के बाद भी मिजोरम ने हजारों विस्थापित आदिवासियों को शरण दी है।

Point of View

बल्कि उन्हें आवश्यक सहायता भी प्रदान करती है। इस विषय पर राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की पहल सराहनीय है।
NationPress
22/12/2025

Frequently Asked Questions

मिजोरम में म्यांमार शरणार्थियों का बायोमेट्रिक पंजीकरण क्यों किया जा रहा है?
यह पंजीकरण शरणार्थियों की पहचान सुनिश्चित करने और उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए किया जा रहा है।
बायोमेट्रिक पंजीकरण की प्रक्रिया में क्या चुनौतियाँ हैं?
दूरदराज के क्षेत्रों में कमजोर इंटरनेट कनेक्टिविटी और तकनीकी समस्याएँ सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं।
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