क्या गुरु हरगोबिंद साहिब ने मानवता की सेवा का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया?

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क्या गुरु हरगोबिंद साहिब ने मानवता की सेवा का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया?

सारांश

गुरु हरगोबिंद साहिब ने मानवता की सेवा का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। भाई मनजीत सिंह ने इस अवसर पर सिख संगत को दीवाली और बंदी छोड़ दिवस की शुभकामनाएं दीं। जानिए इस मौके पर भाई मनजीत ने क्या कहा और कैसे गुरु साहिब ने मानवता के लिए एकता का संदेश दिया।

Key Takeaways

  • गुरु हरगोबिंद साहिब का योगदान मानवता की सेवा में अद्वितीय है।
  • बंदी छोड़ दिवस पर सिख संगत का एकत्रित होना एकता का प्रतीक है।
  • गुरु साहिब के सिद्धांत आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
  • सच्चे प्रेम और एकता का संदेश फैलाना महत्वपूर्ण है।
  • स्वर्ण मंदिर का लंगर सभी के लिए खुला है, बिना किसी भेदभाव के।

अमृतसर, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बंदी छोड़ दिवस के पवित्र अवसर पर सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के सदस्य भाई मनजीत सिंह ने माथा टेका और “सर्बत दा भला” के लिए अरदास की।

इस अवसर पर उन्होंने विश्वभर की सिख संगत और सभी लोगों को दीपावली और बंदी छोड़ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। स्वर्ण मंदिर परिसर में हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इस पवित्र स्थल की रौनक को और बढ़ा दिया।

मीडिया से बातचीत में भाई मनजीत सिंह ने कहा, “दीवाली केवल रोशनी का त्यौहार नहीं, बल्कि आपसी भाईचारे, प्रेम और एकता का प्रतीक है।”

उन्होंने बताया कि यह पर्व भारत के साथ-साथ कनाडा, अमेरिका और विश्व के हर कोने में सिख समुदाय द्वारा श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन सिख समुदाय गुरु हरगोबिंद साहिब जी के बंदी छोड़ दिवस को विशेष रूप से याद करता है, जिन्होंने मानवता की सेवा में एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया।

भाई मनजीत सिंह ने गुरु हरगोबिंद साहिब जी के योगदान को याद करते हुए कहा कि छठे गुरु ने ग्वालियर के किले में कैद 52 राजाओं को मुक्त कराकर स्वतंत्रता, समानता और दया का संदेश दिया। गुरु साहिब ने “मीरी-पीरी” का सिद्धांत प्रतिपादित कर अन्याय और अत्याचार के खिलाफ शस्त्र उठाए और सत्य व धर्म की रक्षा की। उनकी शिक्षाएं आज भी समाज को प्रेरित करती हैं।

उन्होंने श्री हरमंदिर साहिब के चार दरवाजों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पवित्र स्थल सभी धर्मों, जातियों और समुदायों के लिए खुला है। यहां कोई भेदभाव नहीं है, राजा हो या गरीब, सभी को समान रूप से लंगर और प्रसाद प्राप्त होता है। गुरु साहिब ने छुआछूत और भेदभाव की दीवारों को तोड़कर मानवता को एकता का संदेश दिया।

भाई मनजीत सिंह ने कहा, “यदि विश्व में मानवता का सबसे बड़ा केंद्र कहीं है, तो वह गुरु रामदास जी का घर, सचखंड श्री हरमंदिर साहिब है। यहां आने वाला प्रत्येक व्यक्ति आत्मिक शांति और मानसिक प्रसन्नता प्राप्त करता है। स्वर्ण मंदिर का लंगर, जो दिन-रात चलता है, गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का जीवंत प्रतीक है। विश्वभर के लोगों से अपील है कि गुरु साहिबानों की शिक्षाओं पर चलकर मानवता की सेवा करें। बंदी छोड़ दिवस और दीवाली का सच्चा अर्थ है दूसरों के लिए जीना और प्रेम और एकता को बढ़ावा देना।”

Point of View

NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

गुरु हरगोबिंद साहिब ने किस सिद्धांत का प्रचार किया?
गुरु हरगोबिंद साहिब ने 'मीरी-पीरी' का सिद्धांत प्रतिपादित किया, जो अन्याय और अत्याचार के खिलाफ शस्त्र उठाने का संदेश देता है।
बंदी छोड़ दिवस का महत्व क्या है?
बंदी छोड़ दिवस गुरु हरगोबिंद साहिब द्वारा 52 राजाओं को मुक्त करने की याद में मनाया जाता है, जो स्वतंत्रता और समानता का प्रतीक है।