क्या गुवाहाटी में नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी के मामले में तीन साल की जेल हुई?
सारांश
Key Takeaways
- सरकारी पद का दुरुपयोग
- धोखाधड़ी के मामलों में सीबीआई की कार्रवाई
- सजा का महत्व
- सामाजिक विश्वास की हानि
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की प्रासंगिकता
गुवाहाटी, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सीबीआई की विशेष अदालत ने असम में एक सेना के जवान को सरकारी नौकरी प्राप्त कराने के नाम पर धोखाधड़ी करने के आरोप में तीन साल की कैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, अदालत ने दोषी पर दस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला 15 दिसंबर को सुनाया गया।
दोषी का नाम विजय कुमार गुप्ता है, जो आर्मी सर्विस कॉर्प्स बटालियन में एमटी ड्राइवर के पद पर तैनात था। सीबीआई ने यह मामला मई 2019 में एक ब्रिगेडियर की शिकायत पर दर्ज किया था।
शिकायत में उल्लेख किया गया कि विजय कुमार गुप्ता ने 2011 से 2018 तक अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में तैनाती के दौरान एक महिला से उसके बेटे को सरकारी नौकरी दिलाने का झूठा वादा किया। इस वादे के बदले उसने महिला से डेढ़ लाख रुपए ठग लिए।
आरोपी ने अज्ञात लोगों के साथ मिलकर यह धोखाधड़ी की थी। उसने अपनी सरकारी स्थिति का दुरुपयोग करके महिला को गुमराह किया।
सीबीआई ने जांच पूरी करने के बाद दिसंबर 2019 में विजय कुमार गुप्ता और एक अन्य सैनिक एसके पांडे के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। अदालत ने मार्च 2022 में दोनों पर आरोप तय किए।
लंबी सुनवाई के बाद विशेष सीबीआई जज की अदालत ने एसके पांडे को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया, लेकिन विजय कुमार गुप्ता को दोषी पाया। अदालत ने उसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत सजा सुनाई।
सीबीआई के मुताबिक, जांच में पता चला कि आरोपी ने अपनी वर्दी और पद का इस्तेमाल करके महिला का विश्वास जीता और पैसे ऐंठे। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी पद पर रहते हुए इस तरह की धोखाधड़ी न केवल व्यक्तिगत अपराध है, बल्कि सार्वजनिक विश्वास को भी ठेस पहुंचाती है।