क्या ग्वालियर में दशहरे पर केंद्रीय मंत्री सिंधिया का राजशाही अंदाज देखने को मिला?

सारांश
Key Takeaways
- दशहरा का पर्व असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।
- सिंधिया परिवार की पूजा की परंपरा ढाई सौ साल पुरानी है।
- केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विशेष पूजा अर्चना की।
- पूजन के बाद महाआरती का आयोजन किया गया।
- राजघराने का राजशाही अंदाज देखने को मिला।
ग्वालियर, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। असत्य पर सत्य की विजय का पर्व दशहरा पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सिंधिया परिवार के सदस्य और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा उनके पुत्र महान आर्यमन ने दशहरे की विशेष पूजा की। इस अवसर पर राजघराने का राजशाही अंदाज भी देखने को मिला।
दशहरे के अवसर पर सिंधिया राजघराने के प्रतिनिधि देवघर में विशेष पूजा अर्चना करते हैं। इस परंपरा के अनुसार, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर के गोरखी स्थित देवघर पहुंचे, जहां उन्होंने रियासतकालीन शस्त्र पूजन किया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके पुत्र आर्यमन सिंधिया राजसी वेशभूषा में देवघर पहुंचे और लगभग आधे घंटे तक पूजा अर्चना की। इसके बाद रियासतकालीन शस्त्र की पूजा की गई।
पूजन के पश्चात, सिंधिया ने महाआरती भी की। यहाँ सिंधिया रियासतकालीन परंपरा के तहत राज दरबार आयोजित किया गया, जिसमें सिंधिया रियासत के सरदारों ने ज्योतिरादित्य और आर्यमन का स्वागत किया। इस मौके पर उन्होंने रियासत के सरदारों और परिवार के सदस्यों से भी बातचीत की।
दशहरे के पूजा के बाद, केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए प्रदेशवासियों और देशवासियों को दशहरे की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह शुभ अवसर हमारे शहर, संभाग, प्रदेश और देश के लिए मंगलमय और विकासशील हो। साथ ही, भगवान की कृपा बनी रहे, यही मेरी कामना है।
सिंधिया राजघराने के राजकीय पुजारी मधुकर पुरंदरे ने बताया है कि सिंधिया राजघराने की दशहरे की पूजा की यह ढाई सौ साल पुरानी परंपरा है, जो निरंतर जारी है। इसी परंपरा के तहत सिंधिया राजघराने के प्रतिनिधियों ने पूजा अर्चना की।
केंद्रीय मंत्री सिंधिया जब अपने पुत्र के साथ गोरखी पहुंचे, तो वहाँ बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। उन्होंने सिंधिया को दशहरे की शुभकामनाएं दी।