'क्या 'दिल पे मत ले यार' की असफलता ने हंसल मेहता को दिवालिया बना दिया?

सारांश
Key Takeaways
- असफलता से सीखना महत्वपूर्ण है।
- निर्माताओं के दबाव में निर्णय लेना कठिन हो सकता है।
- कहानियों के पीछे की संघर्ष को समझना चाहिए।
- दोस्तों और संबंधों का महत्व।
- खुद से और दूसरों से माफ करना सीखें।
मुंबई, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हंसल मेहता, जो 'अलीगढ़,' 'शाहिद,' और 'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' जैसी चर्चित फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, ने सोमवार को उस फिल्म का जिक्र किया, जिसने उन्हें दिवालिया बना दिया था।
यह फिल्म थी 'दिल पे मत ले यार', जिसकी रिलीज को अब 25 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस खास मौके पर, उन्होंने साझा किया कि कैसे इस फिल्म के बाद वह शराब की लत और कर्ज में उलझ गए थे।
सोमवार को फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने इंस्टाग्राम पर इस फिल्म का पोस्टर साझा किया और एक विस्तृत नोट लिखा, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे फिल्म अपने असली उद्देश्य से भटक गई, क्योंकि निर्माताओं ने स्क्रिप्ट में समझौता किया था।
उन्होंने लिखा, "मुझे याद है कि 'दिल पे मत ले यार' को रिलीज हुए 25 साल हो गए हैं और यह एक अजीब, कड़वा-मीठा अहसास है। इस फिल्म की शुरुआत सौरभ शुक्ला की बेहतरीन पटकथा से हुई थी, जो तीखी, मजेदार, और संभावनाओं से भरी थी। लेकिन, निर्माताओं के दबाव में हमें इसमें बदलाव करने पड़े।"
वे आगे कहते हैं, "यह विडंबना है कि लालच पर आधारित एक फिल्म खुद लालच के कारण ही तबाह हो गई और असफल रही। अब पता चला है कि फिल्म के नेगेटिव्स भी लापरवाही और उपेक्षा के कारण नष्ट हो गए हैं। इस असफलता ने मुझे शराब, कर्ज और दिवालियापन की गहराई में धकेल दिया। फिर भी, 25 साल बाद मैं आज भी कहानियां सुनाने के लिए खड़ा हूं। इस फिल्म ने मुझे दोस्त दिए, कुछ दोस्त छीने, और ऐसे सबक सिखाए जो आज भी मेरे साथ हैं। मैं उन सबका आभारी हूं। मैंने खुद से और उन लोगों से गिले-शिकवे भुला लिए हैं, जिन्हें मैंने कभी असफलता का जिम्मेदार ठहराया था। एक दिन मैं अपने संस्मरण में इसके बारे में विस्तार से लिखूंगा।"
'दिल पे मत ले यार' में मनोज बाजपेयी, तब्बू, सौरभ शुक्ला, और गजराज राव जैसे कलाकार थे। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो पाई थी, और इसके बाद हंसल मेहता काफी टूट गए थे।