क्या हर घर में मौजूद हैं ये तीन अदृश्य शक्ति स्तंभ, जो सुख-समृद्धि की असली नींव हैं?
सारांश
Key Takeaways
- कुलदेवी आपके वंश की रक्षा करती हैं।
- पितृ देव का आभार व्यक्त करना जरूरी है।
- इष्ट देव की पूजा से मन को शांति मिलती है।
- इन शक्तियों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
- सकारात्मक ऊर्जा के लिए नियमित पूजा करें।
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हर घर में तीन अदृश्य शक्तियां होती हैं, जो हमारे सुख, समृद्धि और शांति की असली नींव होती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि कुलदेवी, पितृ देव और इष्ट देव, इन तीनों को सहेज लो, जीवन में केवल सुख ही सुख रहेगा।
कुलदेवी वह शक्ति हैं, जो आपके वंश की रक्षा करती हैं। चाहे हम कितने भी आधुनिक हो जाएं, हमारी आत्मा अपने कुल की ऊर्जा से जुड़ी रहती है। अगर आपने कभी अपने कुलस्थान या कुलदेवी मंदिर जाकर श्रद्धा से प्रणाम नहीं किया, तो मान लीजिए आपकी ऊर्जा का स्रोत कट गया है। जब कुलदेवी प्रसन्न होती हैं, घर में सुरक्षा, स्थिरता और संतुलन आता है। यदि कुलदेवी नाराज हों, तो घर में झगड़े, बीमारियां और असफलताएं बढ़ जाती हैं।
पितृ देव वो हैं जिन्होंने हमें अस्तित्व दिया। हमारा शरीर, संस्कार और हर सांस उनके आशीर्वाद से जुड़ी है। आज के समय में पितृ तर्पण को अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं, जिसके चलते घर में अशांति, आर्थिक रुकावट और मानसिक तनाव बढ़ता है। शास्त्रों में कहा गया है कि पितृ दोष होने पर कोई भी पूजा फलदायी नहीं होती। इसलिए रोजाना सुबह हमें अपने पितृ देव का आभार व्यक्त करना चाहिए।
इष्ट देव वह हैं, जो हमारी आत्मा के रक्षक हैं। हर किसी के इष्ट देव अलग होते हैं। कोई राम, कोई महादेव, तो कोई माता दुर्गा को अपना इष्ट देव मानता है। जब हम रोज उन्हें प्रणाम करते हैं, तो मन स्थिर रहता है, निर्णय सही होते हैं और रिश्तों में करुणा बनी रहती है।
इसलिए सुबह-शाम बस 2 मिनट निकालकर मन में कहना चाहिए, 'हे मेरी कुलदेवी, मेरे कुल की रक्षा करो। हे पितृ देव, मेरे कर्म मार्ग को प्रकाशित करो। हे मेरे इष्ट देव, मेरे मन को शांत करो।' यही ऊर्जा शुद्धि का सबसे सशक्त तरीका है। लोग वास्तु, फेंगशुई या क्रिस्टल्स आजमा लेते हैं, लेकिन आत्मिक वास्तु भूल जाते हैं। यही तीनों शक्तियां आपके जीवन के असली ऊर्जा स्तंभ हैं।