क्या हरिद्वार में 'एक ईश्वर' ऐप ने आस्था का डिजिटल संगम किया?

सारांश
Key Takeaways
- ‘एक ईश्वर’ ऐप श्रद्धालुओं को घर बैठे पूजा का अनुभव देता है।
- पुजा सामग्री और प्रसाद घर पर पहुंचाया जाएगा।
- वर्चुअल पूजा में भाग लेने की सुविधा उपलब्ध है।
- कैलाशानंद महाराज का मानना है कि मन से पूजा का महत्व है।
- इस ऐप के जरिए सभी परंपराओं का अनुभव किया जा सकेगा।
हरिद्वार, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हरिद्वार सदियों से आस्था और श्रद्धा का मुख्य केंद्र रहा है। अब यह डिजिटल तकनीक से जुड़ गया है। सिद्धपीठ दक्षिण काली मंदिर में कैलाशानंद महाराज ने मंगलवार को ‘एक ईश्वर’ ऐप का उद्घाटन किया। इस अनूठी पहल का लक्ष्य है श्रद्धालुओं को अपने घर पर रहकर दर्शन और वर्चुअल आरती का अनुभव प्रदान करना ताकि दूर बैठे भक्त भी आसानी से आस्था से जुड़ सकें।
महाराज ने बताया कि इस ऐप के जरिए प्रसाद और पूजा सामग्री भी सीधे घर-घर पहुंचाई जाएगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी सामग्री शुद्धता और पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार तैयार की जाएगी। ‘एक ईश्वर’ ऐप को आस्था और तकनीक का संगम माना जा रहा है, जो करोड़ों श्रद्धालुओं को आधुनिक युग में भी आध्यात्मिक सेवाओं से जोड़ेगा।
कैलाशानंद महाराज ने राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में बताया कि हमारे परिवार के सदस्य हैं- अमित बजाज, रश्मि बजाज और समृद्धि बजाज। अमित बजाज एक बड़े उद्योगपति हैं। उनकी बेटी समृद्धि ने 'ईश्वर ऐप' को विकसित किया है। उन्होंने डेढ़ साल पहले मुझसे इस ऐप के बारे में चर्चा की थी। मेरी सहमति के बाद ऐप पर कार्य प्रारंभ हुआ। इस ऐप के जरिए महादेव और मां दुर्गा की पूजा मुफ्त में देखी जा सकती है।
उन्होंने कहा कि अपने माता-पिता की प्रेरणा से समृद्धि ने इस ऐप का निर्माण किया, जिसका उद्घाटन मंगलवार को हुआ। कुछ ही समय में यह ऐप हर सनातन के घर तक पहुंचेगा। इस ऐप को बनाने का उद्देश्य केवल पैसा कमाना नहीं है। इसमें छोटा और बड़ा दो किट बनाया गया है, जिसमें पूजा की संपूर्ण सामग्री है।
उन्होंने आगे कहा कि घर पर बैठे-बैठे हर देवी-देवता का दर्शन और पूजन हर वर्ग के लोगों के लिए सुलभ हो जाएगा। मैं नवरात्रि में 107 डिग्री तापमान में हवन करूंगा, जिसे ऐप के माध्यम से देखा जा सकेगा। इस ऐप के जरिए सनातन की हर परंपरा के दर्शन होंगे।
कैलाशानंद महाराज ने बताया कि भौतिक और वर्चुअल पूजा में केवल अंतर शरीर के रूप में होता है। भौतिक पूजा में शारीरिक रूप से शामिल होते हैं, जबकि वर्चुअल पूजा में ऐसा संभव नहीं है। इसलिए मन से पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। शास्त्रों में कहा गया है कि किसी चीज की आवश्यकता नहीं, केवल आंखें बंद कर ध्यान करें और श्लोक और मंत्र का उच्चारण करें, पूरी पूजा संपन्न हो जाती है।