क्या बिहार का हरनाटांड क्षेत्र महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है?

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क्या बिहार का हरनाटांड क्षेत्र महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है?

सारांश

हरनाटांड का विकास अब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। धिरौली प्राथमिक ऊन बुनकर सहकारी समिति जैसे प्रयास स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। जानिए इस बदलाव की कहानी और इसके पीछे की प्रेरणादायक बातें।

Key Takeaways

  • हरनाटांड क्षेत्र की प्रगति
  • महिलाओं का सशक्तिकरण
  • आर्थिक विकास
  • सामाजिक समावेशन
  • स्थानीय समुदाय का योगदान

पटना, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार का आदिवासी बहुल क्षेत्र हरनाटांड, जो पहले नक्सलियों के प्रभाव के लिए जाना जाता था, अब विकास की मुख्य धारा से जुड़कर नई प्रगति की कहानी लिख रहा है। स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में इसने उल्लेखनीय उन्नति की है, जो स्थानीय लोगों के लिए आशा की किरण बन रही है।

बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के हरनाटांड कस्बे का यह परिवर्तन केवल आर्थिक प्रगति तक सीमित नहीं है। क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार देखा जा रहा है। नक्सलियों के प्रभाव से मुक्त होकर यह क्षेत्र अब शांति और समृद्धि की ओर अग्रसर है।

इस बदलाव का जीवंत उदाहरण 1969 में स्थापित धिरौली प्राथमिक ऊन बुनकर सहकारी समिति है, जो आज न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही है, बल्कि सामाजिक समावेशन को भी बढ़ावा दे रही है।

धिरौली प्राथमिक ऊन बुनकर सहकारी समिति में वर्तमान में 40 से 50 लोग कार्यरत हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं। यह समिति शॉल, गमछे, चादर, स्वेटर और bichoune जैसे उत्पाद बनाती है, जिनकी स्थानीय और बाहरी बाजारों में डिमांड है।

समिति के सदस्य हरिंद्र काजी ने बताया, “हमारे यहां शॉल, चादर, गमछा और bichoune बनाए जाते हैं। 1969 में स्थापित इस समिति को सरकार से भवन और आधुनिक मशीनों के रूप में सहायता प्राप्त हुई है, जिसने उत्पादन क्षमता को बढ़ाया है। यह न केवल समिति की कार्यक्षमता को बढ़ा रही है, बल्कि स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।”

समिति में कार्यरत एक सदस्य ने बताया, “यहां 40 से 50 महिलाएं काम करती हैं। हम चादरें, शॉल, गमछे और अन्य सामान बनाते हैं, जिससे हमारी आजीविका चलती है। यहां तमाम महिलाएं सशक्त होने के साथ आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही हैं। साथ ही परिवार के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन रही हैं।”

एक अन्य महिला नर्मदा देवी ने कहा, “हम शॉल, गमछा, स्वेटर के साथ तमाम चीजों को बनाते हैं। यह काम हमें सम्मान और आत्मविश्वास देता है।”

धिरौली समिति जैसे प्रयास स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ-साथ सामाजिक एकजुटता प्रदान कर रहे हैं। सरकार और स्थानीय समुदाय के संयुक्त प्रयास ने हरनाटांड को एक नई पहचान दी है, जो अन्य क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणादायी है।

Point of View

जहां स्थानीय सामुदायिक प्रयासों ने न केवल आर्थिक उन्नति की है, बल्कि सामाजिक एकता को भी बढ़ावा दिया है। यह कहानी देश के अन्य क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन सकती है।
NationPress
01/08/2025

Frequently Asked Questions

हरनाटांड क्षेत्र में क्या बदलाव आया है?
हरनाटांड क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
धिरौली प्राथमिक ऊन बुनकर सहकारी समिति क्या करती है?
यह समिति शॉल, गमछे, चादर, और अन्य उत्पाद बनाती है जो स्थानीय और बाहरी बाजारों में बिकते हैं।
इस समिति में कितनी महिलाएं कार्यरत हैं?
समिति में लगभग 40 से 50 महिलाएं कार्यरत हैं।