क्या हवा सिंह भारतीय सेना के जवान हैं, जो 11 वर्षों तक नेशनल चैंपियन बने रहे?
सारांश
Key Takeaways
- हवा सिंह ने 11 वर्षों तक नेशनल चैंपियन बने रहकर अपनी काबिलियत साबित की।
- उन्हें एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाला पहला भारतीय हेवीवेट बॉक्सर माना जाता है।
- उनके योगदान ने भारतीय बॉक्सिंग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
- उन्होंने कई युवा मुक्केबाजों को प्रशिक्षित किया।
- उनका जीवन संघर्ष और सफलता की एक प्रेरणादायक कहानी है।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हवा सिंह को भारतीय बॉक्सिंग का 'बादशाह' माना जाता है। वह एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय हेवीवेट बॉक्सर हैं, जिन्होंने 1966 और 1970 एशियन गेम्स में गोल्ड जीतकर भारत को इस खेल में अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
16 दिसंबर 1937 को हरियाणा के भिवानी जिले के उमरवास गांव में जन्मे हवा सिंह की कद-काठी बेहद लम्बी थी। इसी कारण वह 19 वर्ष की आयु में सेना में भर्ती हुए। साल 1956 में उन्होंने आर्मी जॉइन की।
सेना में शामिल होकर उन्होंने शौकिया तौर पर बॉक्सिंग की शुरुआत की, लेकिन उनकी रुचि इस खेल में लगातार बढ़ती चली गई। वह सीखने में बहुत कुशल थे, जिसने उन्हें एक शानदार बॉक्सिंग करियर की ओर अग्रसर किया।
साल 1960 में उन्होंने उस समय के चैंपियन मोहब्बत सिंह को हराकर वेस्टर्न कमांड का खिताब जीता। इसके बाद से वह लगातार 11 वर्षों तक नेशनल चैंपियन बने रहे।
हालांकि, आर्थिक सहायता की कमी के चलते वह 1962 एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व नहीं कर सके, लेकिन 1966 और 1970 एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर उन्होंने भारत का नाम रोशन किया।
एशियन गेम्स 1974 के फाइनल में उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को बुरी तरह हराया, लेकिन विवादित रेफरी के निर्णय के कारण वह गोल्ड मेडल नहीं जीत सके। साल 1980 में उन्होंने इस खेल से संन्यास लिया।
हवा सिंह को 'अर्जुन अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया था और 1968 में उन्हें बेस्ट स्पोर्ट्समैन ट्रॉफी भी प्राप्त हुई।
इसके बाद उन्होंने कई युवा मुक्केबाजों को प्रशिक्षित किया, जिनमें से कुछ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। 80
हवा सिंह का निधन 14 अगस्त 2000 को हुआ। 15 दिनों बाद ही उन्हें द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित किया जाना था, लेकिन उनके निधन के बाद यह पुरस्कार उनकी पत्नी को सौंपा गया।