क्या हजारीबाग में पहाड़ी का बड़ा हिस्सा धंस गया?

सारांश
Key Takeaways
- भूस्खलन का मुख्य कारण पहाड़ी पर खनन और बारिश है।
- हादसे में कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ।
- स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए हैं।
हजारीबाग, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के हजारीबाग शहर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित बभनबै पहाड़ी पर सोमवार को एक बड़ा भूस्खलन हुआ। पहाड़ी का एक विशाल भाग अचानक खिसककर नीचे गिर गया। राहत की बात यह है कि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ।
पहाड़ी की तलहटी में बभनबै गांव है, जो लगभग पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित है और यहाँ की जनसंख्या घनी है। हजारीबाग एक पठारी क्षेत्र है, जहां आमतौर पर इस तरह के भू-स्खलन की घटनाएँ नहीं होती। इस घटना से गांव के लोग भयभीत हो गए। मूसलधार बारिश के बीच पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा खिसककर नीचे गिरा, जिससे मिट्टी और पत्थरों का सैकड़ों टन मलबा नीचे आ गया।
इस क्षेत्र में लोग आमतौर पर खेती और पशुपालन करते हैं, लेकिन हादसे के वक्त वहाँ कोई मौजूद नहीं था। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने ऐसा दृश्य केवल उत्तराखंड या हिमालयी राज्यों की खबरों में ही देखा था। हजारीबाग में इस तरह की घटना सुनने की भी किसी ने कल्पना नहीं की थी। जैसे ही घटना की जानकारी मिली, स्थानीय प्रशासन और पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची।
मुफस्सिल थाना प्रभारी कुणाल किशोर ने एहतियात के तौर पर प्रभावित क्षेत्र में लोगों की आवाजाही पर रोक लगाने का आदेश दिया। इस घटना में कोई जनहानि या बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन प्रशासन का मानना है कि खतरा अभी टला नहीं है। आपदा प्रबंधन दल अलर्ट पर है। कुछ साल पहले तक इस पहाड़ी पर पत्थरों का खनन हो रहा था।
चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार ने इस पहाड़ी के पास पत्थर खनन के लिए कुछ वर्षों की लीज भी दी थी। भू-विशेषज्ञों का कहना है कि खनन और लगातार बारिश ने पहाड़ की मिट्टी को कमजोर कर दिया है, जिससे यह हादसा हुआ है। उनका कहना है कि यह घटना एक चेतावनी है—केवल मौसम के लिए नहीं, बल्कि पहाड़ की देखभाल के लिए भी। ग्रामीण प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं ताकि भविष्य में इस तरह के खतरों से बचा जा सके।