क्या हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में प्रसूता महिला और गर्भस्थ शिशु की मौत के पीछे चिकित्सीय लापरवाही है?
सारांश
Key Takeaways
- प्रसूता महिला और गर्भस्थ शिशु की मौत
- चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप
- स्थानीय निवासियों का आक्रोश
- अस्पताल प्रशासन की सफाई
- मामले की जांच की जा रही है
हजारीबाग, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के हजारीबाग में स्थित शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रविवार को एक प्रसूता महिला, चांदनी कुमारी, और उसके पेट में पल रहे बच्चे की मौत होने के बाद परिजनों और स्थानीय निवासियों ने विरोध प्रदर्शन किया और तोड़फोड़ की।
जानकारी के अनुसार, चांदनी को प्रसव पीड़ा के चलते उसके परिजन रात में अस्पताल लेकर पहुंचे थे। अस्पताल के कर्मियों ने उसे प्रसव कक्ष (ओटी) में ले जाकर रखा, जहां कथित तौर पर वह ओटी के बेड से गिर गई और गंभीर रूप से घायल हो गई। परिजनों ने उसे तत्परता से एक निजी अस्पताल में ले जाया, लेकिन वहां के डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद परिजन बेहद आक्रोशित हो गए।
उन्होंने अस्पताल परिसर में हंगामा किया और तोड़फोड़ की। परिजनों का आरोप है कि जब चांदनी को प्रसव पीड़ा के दौरान ओटी में ले जाया गया, उस समय वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। नर्सों के सहारे प्रसव कराया जा रहा था, और उनकी लापरवाही के कारण महिला ओटी के बेड से गिर गई, जिससे मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों की मृत्यु हो गई।
हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा है कि यह घटना महिला के परिजनों की लापरवाही के कारण हुई। सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि प्रसव के दौरान परिजन बिना अनुमति के ओटी में मौजूद थे और इसी दौरान महिला फर्श पर गिर गई। बाद में उन्हें बिना अनुमति के निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
डॉ. कुमार ने कहा कि यदि महिला को मेडिकल कॉलेज में ही उपचार दिया जाता तो संभवतः उसकी जान बचाई जा सकती थी। इस बीच, प्रशासन ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। स्थानीय निवासियों ने इस घटना को गंभीर लापरवाही बताते हुए स्वास्थ्य विभाग से उचित कार्रवाई की मांग की है।