क्या हेमंत सोरेन को ईडी के समन की अवहेलना से राहत मिली?
सारांश
Key Takeaways
- हेमंत सोरेन को ईडी द्वारा जारी समन की अवहेलना से राहत मिली।
- हाईकोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी।
- कुल दस समन जारी किए गए, लेकिन केवल दो पर ही वह उपस्थित हुए।
रांची, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस) - रांची के प्रसिद्ध सेना भूमि घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी समन की अवहेलना से जुड़ी एक मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बुधवार को झारखंड हाईकोर्ट से महत्वपूर्ण राहत प्राप्त हुई। जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत ने उन्हें ट्रायल कोर्ट में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी है। इसके साथ ही उनकी याचिका का निस्तारण किया गया।
ट्रायल कोर्ट ने ईडी द्वारा हेमंत सोरेन के खिलाफ दायर किए गए मामले की सुनवाई करते हुए उन्हें आगामी 12 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया था। हेमंत सोरेन ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। बुधवार को मामले की मेरिट पर सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी और याचिका का निस्तारण कर दिया।
ज्ञात हो कि ईडी ने फरवरी 2024 में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अदालत में हेमंत सोरेन के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। एजेंसी का आरोप है कि रांची के बड़गाईं अंचल से संबंधित भूमि घोटाले में पूछताछ के लिए उन्हें कई बार समन भेजे गए थे। ईडी के अनुसार, पहली बार समन 14 अगस्त 2023 को भेजा गया था। इसके बाद 2023 में 19 अगस्त, 1 सितंबर, 17 सितंबर, 26 सितंबर, 11 दिसंबर, 29 दिसंबर और 2024 में 13 जनवरी, 22 जनवरी तथा 27 जनवरी को भी समन भेजे गए।
इस प्रकार कुल दस समन जारी किए गए, लेकिन हेमंत सोरेन केवल दो समनों पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। एजेंसी का दावा है कि यह प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की धारा 63 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 174 का उल्लंघन है।
सीजेएम कोर्ट ने इस शिकायत पर 4 मार्च 2024 को संज्ञान लिया था, जिसके बाद मामला एमपी-एमएलए विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया।
हेमंत सोरेन ने संज्ञान लेने की कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि जिन समनों पर वह उपस्थित नहीं हुए, उनका लिखित उत्तर उन्होंने ईडी को भेज दिया था। पुराने समन की वैधता समाप्त होने के बाद नए समन पर उन्होंने हाजिरी दी थी और एजेंसी के निर्देशों का पालन किया था। उनका कहना है कि ईडी ने जानबूझकर अनावश्यक रूप से बार-बार समन भेजें। सीएम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरूणव चौधरी और अधिवक्ता दीपांकर राय ने दलीलें प्रस्तुत कीं।