क्या पश्चिम बंगाल की अदालत ने गैंगरेप मामले में तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई?
सारांश
Key Takeaways
- उम्रकैद की सजा का महत्वपूर्ण निर्णय
- पीड़िता को 10 लाख रुपए का मुआवजा
- दोषियों पर एक लाख रुपए का जुर्माना
- नाबालिग आरोपी के लिए किशोर न्यायालय में अलग मुकदमा
- 13 गवाहों के बयान दर्ज किए गए
कोलकाता, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले की एक स्थानीय अदालत ने शुक्रवार को एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में तीन आरोपियों को दोषी ठहराने के बाद उम्रकैद की सजा सुनाई।
यह घटना अगस्त 2020 में पश्चिम मिदनापुर के गरबेटा के जंगल में हुई थी। आरोपियों में से एक, सूरज सोरेन (जो पीड़िता का मंगेतर था), ने उसे पास के एक मंदिर में शादी का समारोह आयोजित कराने के बहाने जंगल में ले गया।
जंगल में पहुँचकर, सूरज ने अपने दो साथियों, दशरथ मंडी और किसान मंडी के साथ मिलकर पीड़िता का यौन उत्पीड़न किया। लोक अभियोजक देबासिस मैती ने फैसले के बाद मीडिया को बताया कि चौथा आरोपी घटना के समय नाबालिग था, इसलिए उस पर किशोर न्यायालय में अलग मामला चलाया गया।
सूरज सोरेन, दशरथ मंडी, और किसान मंडी को जीवन imprisonment की सजा सुनाने के अलावा, निचली अदालत ने इन तीनों पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को पीड़िता को 10 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।
दोषियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(डी) के तहत दोषी करार दिया गया, जो सामूहिक दुष्कर्म के लिए सजा से संबंधित है।
लगभग पांच वर्षों तक चले मुकदमे में 13 गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
पिछले वर्ष में दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म और दुष्कर्म के बाद हत्या की कई घटनाओं के कारण पश्चिम बंगाल ने राष्ट्रीय सुर्खियाँ बटोरी हैं। इनमें सबसे चर्चित घटना पिछले साल अगस्त में कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुआ क्रूर दुष्कर्म और हत्या थी।