क्या हार्मोन असंतुलन से डिप्रेशन होता है? जानिए आयुर्वेद के आसान उपाय!

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क्या हार्मोन असंतुलन से डिप्रेशन होता है? जानिए आयुर्वेद के आसान उपाय!

सारांश

क्या आपका मन हमेशा भारी है? क्या आपका मूड स्विंग कर रहा है? हार्मोन असंतुलन के कारण यह हो सकता है। जानें आयुर्वेद के उपाय जो आपके मूड को बेहतर बना सकते हैं।

Key Takeaways

  • हार्मोन असंतुलन से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
  • आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों का उपयोग कर सकते हैं।
  • योग और प्राणायाम का अभ्यास करें।
  • सही आहार का चयन करें।
  • यदि समस्या गंभीर हो, तो विशेषज्ञ से सलाह लें।

नई दिल्ली, १२ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जब हार्मोन असंतुलन के कारण मन हमेशा भारी लगे, ऊर्जा समाप्त हो जाए और मूड स्विंग होते रहें, तो इसे सामान्य समस्या नहीं समझना चाहिए। आयुर्वेद इसे केवल मानसिक समस्या नहीं मानता, बल्कि यह शरीर और मन दोनों का विकार है, जो विशेष रूप से थायरॉयड, कोर्टिसोल और न्यूरो-हार्मोन पर असर डालता है।

जब थायरॉयड की क्रिया धीमी हो जाती है, तो शरीर सुस्त महसूस करता है और मानसिक स्थिति भी प्रभावित होती है। कोर्टिसोल का बढ़ा हुआ स्तर तनाव, बेचैनी और डर को बढ़ाता है, जो धीरे-धीरे डिप्रेशन का कारण बन सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार, यह मुख्य रूप से वात और तमोगुण के असंतुलन के कारण होता है। जब वात बढ़ता है, तो फोकस कम होता है, नींद बिखरती है और मूड अस्थिर रहता है। तमोगुण के बढ़ने पर मन भारी और थका हुआ महसूस होता है।

इस स्थिति में आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियां सहायक होती हैं। अश्वगंधा तनाव को कम करती है और कोर्टिसोल को संतुलित करती है, जिससे नींद बेहतर होती है। शंखपुष्पी मस्तिष्क को शांत करती है और मूड को स्थिर बनाती है। जटामांसी गहरी नींद और मानसिक स्थिरता प्रदान करती है। ब्राह्मी फोकस को बढ़ाती है और मन को हल्का करती है। कुमारी (एलोवेरा) थायरॉयड संतुलन में सहायक होती है।

आयुर्वेद में थायरॉयड असंतुलन को अग्नि और धातु-पोषण से जोड़ा गया है। जब अग्नि कमजोर होती है, तो मेटाबॉलिज्म धीमा होता है, मन भारी होता है और थकान बढ़ती है।

योग और प्राणायाम भी हार्मोन संतुलन में मदद करते हैं। अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उज्जायी प्राणायाम, सूर्य नमस्कार और शशांकासन नाड़ियों को शांत करके मूड को बेहतर बनाते हैं। आहार में हल्का, सुपाच्य भोजन, तिल, बादाम, घी, गर्म दूध, हल्दी, दालचीनी और गुड़ शामिल करना लाभकारी होता है। कैफीन की अधिकता से बचें। दिनचर्या में सुबह सूरज की रोशनी, २० मिनट की वॉक, नियमित नींद और स्क्रीन टाइम कम करना चाहिए। तिल, ब्राह्मी और अंजनाम तेल से सिर और पैरों की मालिश मन को शांत करने में मदद करती है।

सरल घरेलू उपाय जैसे दूध में अश्वगंधा पाउडर, गर्म पानी में घी की बूंदें या शहद में दालचीनी भी फायदेमंद होते हैं। रात में जटामांसी का काढ़ा पीना, मंत्र जप, धीमी संगीत थेरेपी और डायरी लिखना मन को स्थिर करता है। यदि उदासी, ऊर्जा की कमी या आत्म-नुकसान के विचार हों, तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें। आयुर्वेद हार्मोन असंतुलन और डिप्रेशन को जड़ से सुधारता है, पाचन को सुधारता है, नाड़ियों को शांत करता है और मन को मजबूत बनाता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि हार्मोन असंतुलन एक गंभीर समस्या है। यह न केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। आयुर्वेद के उपायों का उपयोग करके इस समस्या का समाधान किया जा सकता है, जो एक प्राकृतिक और प्रभावी तरीका है।
NationPress
12/12/2025

Frequently Asked Questions

हार्मोन असंतुलन के लक्षण क्या हैं?
हार्मोन असंतुलन के लक्षणों में ऊर्जा की कमी, मूड स्विंग, नींद में परेशानी, और मानसिक तनाव शामिल हैं।
आयुर्वेद में कौन सी जड़ी-बूटियां मददगार हैं?
आयुर्वेद में अश्वगंधा, शंखपुष्पी, जटामांसी और ब्राह्मी जैसी जड़ी-बूटियां हार्मोन संतुलन में मदद करती हैं।
योग का क्या योगदान है?
योग और प्राणायाम हार्मोन संतुलन को बनाए रखने में सहायक होते हैं और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारते हैं।
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