क्या अक्टूबर में भारत का पीई और वीसी निवेश 5.3 अरब डॉलर तक पहुंचा?
सारांश
Key Takeaways
- 5.3 अरब डॉलर का पीई/वीसी निवेश अक्टूबर में हुआ।
- पब्लिक इक्विटी में निजी निवेश में 10 गुना की वृद्धि।
- फाइनेंशियल सर्विसेज ने 2.9 अरब डॉलर का योगदान दिया।
- बड़े ट्रांजैक्शन ने कुल निवेश में 70 प्रतिशत का योगदान दिया।
- कमोडिटी और मैन्युफैक्चरिंग पर दबाव बना रहेगा।
नई दिल्ली, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में प्राइवेट एक्विटी और वेंचर कैपिटल निवेश अक्टूबर 2023 में 5.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो कि मासिक आधार पर 9 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। यह वृद्धि पब्लिक इक्विटी में निजी निवेश (पीआईपीई) में 10 गुना की बढ़ोतरी के कारण हुई है। यह जानकारी शुक्रवार को एक रिपोर्ट में साझा की गई।
अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) और इंडियन वेंचर एंड अल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन (आईवीसीए) की रिपोर्ट में बताया गया है कि सेक्टर वाइज फाइनेंशियल सर्विसेज ने 2.9 अरब डॉलर की सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की है, जबकि ई-कॉमर्स ने 715 मिलियन डॉलर की वृद्धि दिखाई है।
इस वर्ष अक्टूबर में पीआईपीई डील 2.1 अरब डॉलर के साथ सर्वाधिक रही, जिसमें सालाना आधार पर 981 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। वहीं, स्टार्टअप निवेश ने 2 अरब डॉलर के साथ सालाना आधार पर 175 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया।
फाइनेंशियल सर्विसेज, ई-कॉमर्स और टेक्नोलॉजी ने मिलकर मासिक निवेश मूल्य में 77 प्रतिशत का योगदान किया।
ईवाई में प्राइवेट इक्विटी सर्विसेज के पार्टनर और नेशनल लीडर विवेक सोनी ने कहा, "पिछले वर्ष अक्टूबर की तुलना में डील की संख्या 112 से घटकर इस वर्ष अक्टूबर में 102 रह गई है।"
रिपोर्ट में बताया गया है कि आगामी वर्षों में इंडस्ट्रियल सेक्टर में मजबूत मांग देखने को मिल सकती है, जिसे लार्ज-स्केल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और गवर्नमेंट लेड कैपिटल एक्सपेंडिचर प्रोग्राम का समर्थन प्राप्त है।
बड़े ट्रांजैक्शन ने कुल मासिक निवेश मूल्य में 70 प्रतिशत का योगदान दिया, जिसमें 9 बड़ी डील 3.7 अरब डॉलर की रही। पीई/वीसी निवेश 81 प्रतिशत की वृद्धि के बाद 5 अरब डॉलर के आंकड़े को छू गया, जो कि 13 महीनों का उच्च स्तर रहा। वहीं रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश 83 प्रतिशत की गिरावट के बाद 291 मिलियन डॉलर पर रहा।
दूसरी तिमाही के नतीजे एक मिश्रित कॉर्पोरेट आउटलुक दिखाते हैं, जिसके साथ भारत में पीई/वीसी लैंडस्केप एक सक्रिय चरण के लिए तैयार है। जहां एक ओर बैंकिंग, आईटी और एफएमसीजी मजबूत बने रहेंगे, वहीं कमोडिटी और मैन्युफैक्चरिंग पर मार्जिन और डिमांड का दबाव बना रहेगा।