क्या एसआईआर को लेकर सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने भाजपा पर हमला किया?
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर प्रक्रिया में बीएलओ की भूमिका महत्वपूर्ण है।
- बीएलओ की मौतें राजनीतिक दबाव का परिणाम हो सकती हैं।
- सपा सांसद ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- लोगों को एसआईआर प्रक्रिया के बारे में जागरूक करना आवश्यक है।
- चुनाव आयोग को बीएलओ की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
लखनऊ, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की मौतों के चलते राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस संदर्भ में समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीएलओ पर अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है, जिसके चलते उनकी मौतें हो रही हैं।
अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "भाजपा के लोग चाहते हैं कि दलितों, कमजोरों, पिछड़ों और समाजवादी मतदाताओं का वोट काटकर उनका अधिकार छीन लिया जाए। बीएलओ पर अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है, जिसके कारण उनकी मौतें हो रही हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि एसआईआर प्रक्रिया में कई प्रकार की गड़बड़ियाँ हो रही हैं। जानबूझकर विशेष जाति के लोगों को प्रक्रिया में शामिल किया गया है ताकि सपा के मतदाताओं के वोट काटे जा सकें।
बीएलओ की मौतों पर समाजवादी पार्टी की विधायक रागिनी सोनकर ने कहा, "मैं स्वयं बूथ-बूथ जा रही हूं और लोगों से मिल रही हूं। जिस तरह से सरकार एसआईआर को लागू कर रही है, वह अव्यवहारिक है, जिससे बीएलओ को काफी मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है।"
उन्होंने बताया कि निर्धारित लक्ष्य अवास्तविक हैं। सरकार ने बुनियादी नियमों का पालन नहीं किया और लोगों को एसआईआर फॉर्म के बारे में जागरूक करने में नाकाम रही। रागिनी सोनकर ने कहा, "बीएलओ घर-घर जा रहे हैं, लेकिन लोग आधार कार्ड देने से मना कर रहे हैं। उनके अंदर डर बना हुआ है। यदि एसआईआर को सही दिशा-निर्देशों के साथ लागू किया गया होता, तो बीएलओ को इतना दबाव नहीं झेलना पड़ता।"
सपा विधायक ने यह भी आरोप लगाया कि शासन-प्रशासन वर्तमान में भाजपा का एजेंट बनकर कार्य कर रहा है। बीएलओ पर कई प्रकार के दबाव बनाए जा रहे हैं। जाति और धर्म के आधार पर बीएलओ को वोट काटने और जोड़ने के लिए निर्देशित किया जा रहा है।
रागिनी सोनकर ने कहा कि चुनाव आयोग ने भी ऐसी कोई समिति नहीं बनाई है जो बीएलओ की समस्याओं को सुन सके। आगे लंबी प्रक्रिया जारी रहेगी, इसलिए आयोग को जल्द से जल्द समिति बनाने पर ध्यान देना चाहिए।