क्या आप जानते हैं परमवीर चक्र विजेता निर्मलजीत सिंह सेखों की याद में 'इंडियन एयर फोर्स मैराथन' का आयोजन हो रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- देशभक्ति का प्रतीक।
- निर्मलजीत सिंह सेखों की याद में।
- सभी उम्र के लोगों के लिए खुला।
- 60 शहरों में एक साथ आयोजन।
- साहस और समर्पण का उत्सव।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। 'टच द स्काई विद ग्लोरी', भारतीय वायुसेना का यह प्रेरणादायक नारा केवल शब्द नहीं है, बल्कि यह साहस, समर्पण और देशभक्ति की भावना है, जो हर भारतीय के दिल में गूंजती है। इसी प्रेरणा को आगे बढ़ाते हुए भारतीय वायुसेना प्रस्तुत कर रही है 'सेखों' इंडियन एयर फोर्स मैराथन 2025।
यह मैराथन परमवीर चक्र विजेता फ्लाइट लेफ्टिनेंट निर्मलजीत सिंह सेखों को समर्पित है। निर्मलजीत सिंह सेखों वह वीरता के प्रतीक थे, जिन्होंने 1971 के युद्ध में अपने अकेले जेट से दुश्मन के छह विमानों का सामना किया और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।
साल 1971 में 14 दिसंबर को पाकिस्तान के छह लड़ाकू विमानों ने भारत की श्रीनगर एयरफील्ड पर हमला किया। उस समय ग्नैट पायलट के रूप में कार्यरत निर्मलजीत सिंह सेखों ने इस खतरनाक हवाई हमले के बीच उड़ान भरी और दुश्मन से साहसिकता से भिड़ गए। उन्होंने एक पाकिस्तानी सेबर जेट को मार गिराया और अन्य विमानों को भी भारी नुकसान पहुंचाया। अपनी आखिरी सांस तक, निर्मलजीत सिंह ने अपने बेस की रक्षा की।
इस मैराथन का आयोजन केवल दौड़ नहीं है, बल्कि यह देशभक्ति और अनुशासन की एक महत्वपूर्ण यात्रा है। 2 नवंबर को जब सूरज की पहली किरण नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम से निकलेगी, तब हजारों कदम एक साथ आगे बढ़ेंगे। भारत के विभिन्न हिस्सों से, विभिन्न उम्र, भाषा और पृष्ठभूमि के लोग एक ही उमंग के साथ दौड़ेंगे। यह दौड़ देश के लिए और सेखों के नाम पर होगी।
दिल्ली के अलावा, यह आयोजन देश के 60 शहरों में एक साथ होने जा रहा है। पहाड़ी इलाकों से लेकर समुद्र के तटों तक, पूर्वोत्तर के मैदानों से लेकर पश्चिम के रेगिस्तानों तक, हर जगह देशवासी भारतीय वायुसेना के पराक्रम को सलाम करेंगे। इस मैराथन में युवा से लेकर वेटरन तक हर प्रतिभागी का उद्देश्य होगा अपनी सीमाओं को पार करना।
यह आयोजन न केवल खेल और फिटनेस को बढ़ावा देगा, बल्कि हर भारतीय को यह याद दिलाएगा कि वीरता किसी पद या रैंक से नहीं, बल्कि दिल के हौसले से उपजती है। सेखों मैराथन का हर कदम भारतीय वायुसेना के गौरव को नमन करेगा और यह संदेश देगा कि हम सब के भीतर उड़ान है, बस विश्वास चाहिए।