क्या भारतीय बैंकों का एनपीए कई दशकों के निचले स्तर 2.3 प्रतिशत पर पहुंच गया?

सारांश
Key Takeaways
- एनपीए का स्तर 2.3 प्रतिशत पर पहुंचा।
- बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने एनपीए में भारी गिरावट दर्ज की।
- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने भी मजबूत स्थिति बनाए रखी है।
- बैंकिंग क्षेत्र में मजबूत पूंजी भंडार है।
मुंबई, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस) । भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रस्तुत नवीनतम वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को मजबूत पूंजी भंडार, कई दशकों से कम नॉन-परफॉर्मिंग लोन और मजबूत आय का समर्थन प्राप्त हुआ है।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि देश के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने अपनी परिसंपत्ति गुणवत्ता में निरंतर सुधार किया है, जीएनपीए रेश्यो और एनएनपीए रेश्यो क्रमशः कई दशक के निचले स्तर 2.3 प्रतिशत और 0.5 प्रतिशत पर पहुंच गए हैं।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, बैंकों का कुल ग्रॉस एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) एक वर्ष पहले के 2.8 प्रतिशत से घटकर 31 मार्च तक कुल ऋणों का 2.3 प्रतिशत हो गया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने एनपीए में भारी गिरावट दर्ज की, जो मार्च 2024 में 3.7 प्रतिशत से इस वर्ष मार्च में 2.8 प्रतिशत हो गई। निजी क्षेत्र के बैंकों का ग्रॉस एनपीए रेश्यो 2.8 प्रतिशत पर स्थिर रहा।
अतिरिक्त रूप से, मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट के परिणामों से यह स्पष्ट होता है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का कुल पूंजी स्तर प्रतिकूल तनाव परिदृश्यों में भी नियामक न्यूनतम से ऊपर बना रहेगा।
वैश्विक प्रतिकूलताओं के बीच, भारतीय वित्तीय क्षेत्र ने अपनी मजबूती को बनाए रखा है। बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने अपनी परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार करते हुए अपनी पूंजी और लिक्विडिटी बफर को मजबूत किया। बैंक ऋण वृद्धि में कमी आई और यह जमा वृद्धि के करीब पहुंच गई, जिससे दोनों के बीच का अंतर कम हो गया।
एनबीएफसी द्वारा ऋण विस्तार को ऋण गुणवत्ता में सुधार और मजबूत पूंजी बफर से बल मिला। मौद्रिक नीति में ढील के कारण अनुकूल ब्याज दर के माहौल से आगे चलकर क्रेडिट ऑफटेक को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) की पूंजी स्थिति मजबूत हुई, जबकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की पूंजी नियामक न्यूनतम से काफी ऊपर रही।
बीमा क्षेत्र, जीवन और गैर-जीवन दोनों क्षेत्रों का कंसोलिडेटेड सॉल्वेंसी रेश्यो न्यूनतम निर्धारित सीमा से ऊपर रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्ध-वार्षिक स्लिपेज रेश्यो 0.7 प्रतिशत पर स्थिर रहा, जबकि मार्च 2025 में बैंकों का प्रोवजनिंग कवरेज रेश्यो 76.3 प्रतिशत था, जो सितंबर 2024 की तुलना में थोड़ा कम था।