क्या इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी का सफर राजनेता से आयरन लेडी तक अद्भुत था?
सारांश
Key Takeaways
- इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं।
- उन्होंने 1966 में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
- उनका ध्यान हमेशा गरीबों के उत्थान पर रहा।
- इंदिरा गांधी को 'आयरन लेडी' की उपाधि मिली।
- 31 अक्टूबर 1984 को उनकी हत्या हुई।
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के इतिहास में 31 अक्टूबर वह विशेष दिन है, जब देश ने एक ऐसे राजनेता को खो दिया, जिसे आयरन लेडी के नाम से जाना जाता है। वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं, जो देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनकर उभरीं। इंदिरा गांधी केवल एक नेता नहीं थीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण, राजनीतिक दृढ़ता और आत्मनिर्भरता की प्रतीक थीं।
उनका जीवन दूरदर्शिता, निर्णय और संघर्ष का अद्भुत संगम है। उन्होंने भारत को एक नई पहचान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जन्मी इंदिरा गांधी के पिता, जवाहरलाल नेहरू, देश के पहले प्रधानमंत्री थे, और उनकी माता कमला नेहरू थीं। उन्होंने अपनी शिक्षा शांतिनिकेतन से प्राप्त की और उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गईं।
इंदिरा गांधी का विवाह फिरोज गांधी के साथ हुआ। राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण उनका झुकाव हमेशा से राजनीति की ओर रहा। प्रधानमंत्री बनने से पहले, उन्होंने अपने पिता के साथ राजनीति में सक्रियता दिखाई और स्वतंत्रता आंदोलन को नजदीक से देखा, जिसने उनके भीतर नेतृत्व की लौ जलाई।
उनके राजनीतिक सफर की बात करें तो जब देश आर्थिक अस्थिरता में था, तब उन्होंने 1966 में प्रधानमंत्री के रूप में देश को मजबूत नेतृत्व प्रदान किया।
इंदिरा गांधी ने देश के निचले तबके पर ध्यान केंद्रित किया और कई योजनाएं बनाई, साथ ही गरीबी हटाओ का नारा दिया। 1971 में पाकिस्तान की शर्मनाक हार और बांग्लादेश के निर्माण भी उनके मजबूत नेतृत्व में हुआ, जिसके बाद उन्हें आयरन लेडी के नाम से पुकारा गया।
यह उनके दृढ़ इरादों का परिणाम था कि उन्होंने 1974 में भारत को परमाणु संपन्न देशों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया।
वह 1966 से 1977 तक और फिर 1980 से 1984 तक प्रधानमंत्री रहीं, जिससे वह अपने पिता के बाद भारत की दूसरी सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली प्रधानमंत्री बनीं।
उन्होंने 1975 से 1977 तक आपातकाल लागू किया और 31 अक्टूबर 1984 को उनके अपने ही सिख अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी।