क्या आईएनएस अरावली भारतीय नौसेना की समुद्री क्षमता और जागरूकता को मजबूत करेगा?

सारांश
Key Takeaways
- आईएनएस अरावली भारतीय नौसेना की सामुद्रिक सजगता को बढ़ाएगा।
- यह संचार केन्द्रों के बीच सहयोग को मजबूत करेगा।
- इससे तकनीकी नवाचार में वृद्धि होगी।
- यह भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
- यह नौसेना की परिचालन तत्परता को बढ़ाएगा।
नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय नौसेना अपने समुद्री क्षेत्र में अपनी क्षमता और सजगता को और अधिक सुदृढ़ करने जा रही है। इसके लिए नौसेना केन्द्र, आईएनएस अरावली का औपचारिक कमीशन किया जाएगा। यह नौसैनिक केन्द्र भारतीय नौसेना के विभिन्न सूचना और संचार केन्द्रों को सहयोग प्रदान करेगा। यह विभिन्न केन्द्रों को एक दूसरे से संपर्क में रखने का कार्य करेगा।
यह तंत्र भारत और भारतीय नौसेना के कमांड, कंट्रोल एवं समुद्री क्षेत्र जागरूकता ढांचे की रीढ़ है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी की उपस्थिति में शुक्रवार को गुरुग्राम में इसे कमीशन किया जाएगा।
नौसेना के अनुसार, आईएनएस अरावली का नाम भारत की अडिग और प्राचीन अरावली पर्वतमाला से प्रेरित है। यह नौसैनिक केन्द्र नौसेना के विभिन्न संचार केन्द्रों के लिए विशेष मददगार साबित होगा। आईएनएस अरावली का आदर्श वाक्य है ‘सामुद्रिकसुरक्षायाः सहयोगं,’ अर्थात सहयोग से समुद्री सुरक्षा। यह नेवल बेस नौसेना की सहयोगात्मक कार्य संस्कृति को प्रदर्शित करता है, जिसके तहत यह नौसैनिक इकाइयों, एमडीए केन्द्रों और अन्य साझेदारों के साथ समन्वय में कार्य करेगा।
आईएनएस अरावली का प्रतीक चिह्न (क्रेस्ट) भी इसके नाम और उद्देश्य से गहराई से जुड़ा हुआ है। नौसेना के अनुसार इसमें दर्शाई गई पर्वत श्रृंखला की आकृति, अरावली की अडिग और दृढ़ता को प्रतीकात्मक रूप से प्रदर्शित करती है। इसमें उगते सूर्य की छवि है। यह छवि शाश्वत सतर्कता, ऊर्जा और लचीलापन का प्रतीक है। साथ ही यह संचार और एमडीए के क्षेत्र में नई तकनीकी क्षमताओं के उदय को भी इंगित करता है।
इस प्रकार यह क्रेस्ट भारतीय नौसेना की उस दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिसके तहत नौसेना देश के समुद्री हितों की रक्षा हेतु निरंतर सतर्कता बनाए रखेगी। आईएनएस अरावली का कमीशन होना भारतीय नौसेना की सूचना-प्रौद्योगिकी, कम्युनिकेशन और समुद्री क्षेत्र जागरूकता क्षमताओं को और बढ़ाएगा।
इससे न केवल नौसेना की परिचालन तत्परता में वृद्धि होगी, बल्कि यह भारत की समुद्री सुरक्षा ढांचे को भी मजबूत करेगा। यह कदम भारत की समुद्री सुरक्षा, सहयोगात्मक ढांचे और तकनीकी नवाचारों की दिशा में एक नए युग की शुरुआत माना जा रहा है।