क्या इजरायल-ईरान संघर्ष से देश के चावल निर्यातकों को नुकसान हुआ है?

सारांश
Key Takeaways
- इजरायल-ईरान संघर्ष का भारतीय चावल निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव।
- ईरान जाने वाली चावल की शिपमेंट लगभग रुकी।
- बासमती चावल का भारत का मुख्य निर्यात ईरान को है।
- निर्यातकों की चिंताएँ बढ़ी हैं।
- युद्ध के कारण चावल की कीमतों में गिरावट।
नई दिल्ली, 20 जून (राष्ट्र प्रेस)। इजरायल-ईरान संघर्ष का भारतीय चावल निर्यात पर गहरा प्रभाव पड़ा है और ईरान के लिए चावल की शिपमेंट लगभग थम गई है। चावल निर्यातकों ने इस संबंध में जानकारी दी।
चावल निर्यातक नरेंद्र मिगलानी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "ईरान और इजरायल के बीच के युद्ध का भारतीय चावल निर्यात पर नकारात्मक असर पड़ा है। संघर्ष के कारण ईरान की ओर जाने वाले चावल का निर्यात ठप हो गया है, जिससे हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और यूपी से निर्यातित लगभग 1 लाख मीट्रिक टन चावल बंदरगाहों पर अटका हुआ है।"
उन्होंने आगे कहा, "भारत, ईरान को सबसे अधिक बासमती चावल का निर्यात करता है। इसके बाद सऊदी अरब और तीसरे स्थान पर इराक का नाम आता है।"
मिगलानी ने बताया, "युद्ध के कारण निर्यात होने वाले चावल की कीमतों में लगभग 1200 प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। निर्यातकों की सबसे बड़ी चिंता ईरान में फंसे चावल के पैसे और पोर्ट पर खड़े चावल के कंटेनर्स को लेकर है। चूंकि ईरान में निर्यात होने वाले चावल का कोई इंश्योरेंस नहीं होता, इसलिए निर्यातकों को करोड़ों रुपए के चावल के खराब होने का डर है। दूसरी ओर, ईरान जाने वाले चावल के निर्यात के लिए परमिट केवल चार महीने के लिए जारी होता है, जिसमें निर्यातकों को तय समय सीमा के अंदर चावल की डिलीवरी देनी होती है। अगर चावल समय पर नहीं पहुंचता तो परमिट रद्द हो जाता है, जिससे निर्यातकों को नुकसान होता है।"
हाल ही में जारी क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है, "इजरायल और ईरान के साथ भारत का सीधा व्यापार कुल व्यापार का 1 प्रतिशत से भी कम है। ईरान को भारत का मुख्य निर्यात बासमती चावल है, जबकि इजरायल के साथ व्यापार अधिक विविध है, जिसमें उर्वरक, हीरे और बिजली के उपकरण शामिल हैं।"
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि वित्त वर्ष 2025 में भारत के बासमती चावल निर्यात में ईरान और इजरायल का योगदान लगभग 14 प्रतिशत है।