क्या निष्पक्ष कर न्याय की मजबूत नींव है अधिकरण?: अर्जुन राम मेघवाल
सारांश
Key Takeaways
- आईटीएटी की स्थापना 1941 में हुई थी।
- लखनऊ पीठ की स्थापना 2000 में हुई थी।
- आईटीएटी करदाताओं को निष्पक्ष और त्वरित न्याय प्रदान करता है।
- डिजिटल पहलों ने न्याय प्रक्रिया को सुलभ बनाया है।
- 25 वर्षों में लखनऊ पीठ ने 16 हजार से अधिक अपीलों का निस्तारण किया है।
लखनऊ, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आयकर अपीलीय अधिकरण (आईटीएटी) की लखनऊ पीठ की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में रविवार को एक भव्य एवं गरिमामय रजत जयंती समारोह का आयोजन किया गया। केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने इस समारोह की अध्यक्षता करते हुए आईटीएटी को देश की कर-न्याय व्यवस्था का मुख्य स्तंभ बताया और कहा कि यह संस्था कई दशकों से करदाताओं को निष्पक्ष, सुलभ और त्वरित न्याय प्रदान कर रही है।
मंत्री मेघवाल ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में कहा कि आयकर अपीलीय अधिकरण ने तकनीकी जटिलताओं से मुक्त, कम खर्चीली और विशेषज्ञता-आधारित न्यायिक प्रक्रिया विकसित की है, जिससे लोकतंत्र में न्याय तक पहुंच को सुगम बनाया गया है। उन्होंने डिजिटल पहलों की सराहना करते हुए बताया कि ई-हियरिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी सुविधाओं के माध्यम से दूरदराज के करदाताओं को भी समय पर न्याय मिल रहा है।
उन्होंने आयकर अपीलीय अधिकरण को देश की कर-न्याय व्यवस्था का एक मजबूत आधार बताते हुए कहा कि यह संस्था लंबे समय से करदाताओं को निष्पक्ष, सुलभ और त्वरित न्याय प्रदान कर रही है। उन्होंने डिजिटल पहलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ई-हियरिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी व्यवस्थाओं से दूरदराज के करदाताओं को भी समयबद्ध न्याय प्राप्त हो रहा है। कार्यक्रम के दौरान आयकर अपीलीय अधिकरण के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में बताया गया कि इसकी स्थापना 25 जनवरी 1941 को हुई थी और यह देश का सबसे पुराना अर्ध-न्यायिक अधिकरण है, जिसे उसकी परिपक्व कार्यप्रणाली के कारण मातृ अधिकरण भी कहा जाता है।
लखनऊ पीठ की जानकारी देते हुए बताया गया कि इसकी स्थापना 5 मई 2000 को हुई थी और अगस्त 2000 में पहली सुनवाई प्रारंभ हुई थी। वर्तमान में लखनऊ में दो पीठें कार्यरत हैं, जो उत्तर प्रदेश के 16 जिलों से संबंधित आयकर अपीलों की सुनवाई कर रही हैं। बीते 25 वर्षों में लखनऊ पीठ ने 16 हजार से अधिक आयकर अपीलों का निस्तारण कर करदाताओं को न्याय प्रदान किया है, जबकि वर्तमान में 1592 अपीलें लंबित हैं, जिनकी नियमित सुनवाई की जा रही है।