आईटीआर फाइलिंग के दौरान कौन सी गलतियों से बचें? रिफंड अटक सकता है!

सारांश
Key Takeaways
- ई-वेरिफिकेशन करना न भूलें।
- एआईएस डेटा का सही मिलान करें।
- सही आईटीआर फॉर्म का चयन करें।
- समय पर आईटीआर जमा करें।
- जुर्माने से बचें।
नई दिल्ली, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश में 6.7 करोड़ से ज्यादा करदाता अपने इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) जमा कर चुके हैं और इनमें से कई लोग रिफंड का इंतजार कर रहे हैं।
कई बार आईटीआर भरने के बाद भी समय पर आपको रिफंड नहीं मिल पाता। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में हम इस लेख में चर्चा करेंगे।
ई-वेरिफिकेशन न करना: आईटीआर को केवल जमा करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसे फाइलिंग के 30 दिनों के अंदर वेरीफाई करना भी अनिवार्य है। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आपका रिफंड रुक सकता है। कई मामलों में करदाताओं को 5,000 रुपए तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
एआईएस डेटा को नजरअंदाज करना: एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (एआईएस) में आपकी आय, बैंक खाता और निवेश की सभी जरूरी जानकारी होती है। अगर एआईएस डेटा और आईटीआर में दी गई जानकारी में अंतर होता है, तो आपका रिफंड रुक सकता है और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको नोटिस भी भेज सकता है। इसलिए, आईटीआर को फाइल करते समय एआईएस से मिलान करना बेहद जरूरी है।
गलत आईटीआर फॉर्म का चयन: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा करदाताओं की आय और कारोबार के अनुसार विभिन्न आईटीआर फॉर्म जारी किए जाते हैं।
असेसमेंट ईयर 2025-26 (वित्त वर्ष 2024-25) के लिए आईटीआर 1, आईटीआर 2, आईटीआर 3, आईटीआर 4, आईटीआर 5, आईटीआर 6 और आईटीआर 7 उपलब्ध हैं।
उदाहरण के लिए, सालाना 50 लाख रुपए तक के वेतन वालों को आईटीआर फॉर्म 1 भरना होता है। वहीं, कारोबार से 50 लाख रुपए तक की आय वालों को आईटीआर फॉर्म 4 भरना चाहिए।
इसलिए, यदि कोई करदाता गलत आईटीआर फॉर्म का चयन करता है, तो उसका रिफंड रुक सकता है।