क्या जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने से केवल मोक्ष मिलता है? लौटते समय की गलती से यमलोक का रास्ता खुल सकता है!
सारांश
Key Takeaways
- जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी यमशिला कहलाती है।
- लौटते समय यमशिला पर पैर न रखने का ध्यान रखें।
- मंदिर में दर्शन से पापों से मुक्ति मिलती है।
- यमराज की चिंता और भगवान जगन्नाथ का समाधान रोचक है।
- इस मंदिर की कथा एक चेतावनी भी है।
पुरी, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा का जगन्नाथ मंदिर केवल भारत ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व के सबसे प्रसिद्ध और रहस्यमयी मंदिरों में से एक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जगन्नाथ मंदिर के दर्शन से मनुष्य अपने पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर से लौटते समय की एक छोटी-सी गलती आपके सभी पुण्य को नष्ट कर सकती है?
इस मंदिर से जुड़ी एक अनोखी और रहस्यमयी कथा है, जो मंदिर के मुख्य द्वार की तीसरी सीढ़ी से संबंधित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय ऐसा आया जब भगवान जगन्नाथ के दर्शन से सभी भक्त पापमुक्त हो रहे थे। लोग सीधे मोक्ष पा रहे थे और यमलोक जाने वालों की संख्या बहुत कम हो गई थी। यह देखकर यमराज चिंतित हो गए। उन्होंने स्वयं भगवान जगन्नाथ के पास जाकर कहा, 'प्रभु, आपने पाप मुक्ति का रास्ता इतना सरल बना दिया है कि अब कोई भी यमलोक नहीं आ रहा। यदि ऐसा चलता रहा तो मेरे लोक में सन्नाटा छा जाएगा।'
यमराज की बात सुनकर भगवान जगन्नाथ मुस्कुराए और बोले, 'यमराज, अब से तुम मेरे मंदिर के मुख्य द्वार की तीसरी सीढ़ी पर निवास करो। जो भी व्यक्ति मेरे दर्शन के बाद लौटते समय इस सीढ़ी पर पैर रखेगा, उसके सारे पुण्य नष्ट हो जाएंगे और उसे यमलोक आना ही पड़ेगा।'
तब से इस मंदिर की तीसरी सीढ़ी को यमशिला कहा जाने लगा। यह शिला काले रंग की है और बाकी सीढ़ियों से बिल्कुल अलग दिखती है। भक्त मानते हैं कि दर्शन करते समय इस शिला पर पैर रखना शुभ होता है, लेकिन वापस लौटते समय अगर कोई गलती से भी उस पर पैर रख दे, तो उसके सारे पुण्य समाप्त हो जाते हैं।
इसलिए जब भी आप पुरी के जगन्नाथ मंदिर जाएं, तो यह ध्यान रखें कि लौटते समय मुख्य द्वार की तीसरी सीढ़ी यानी यमशिला पर पैर न रखें।